Friday 2 December 2016

मेवाड़ में संविधान दिवस समारोहपूर्वक आयोजित

सभी न्यायाधीश अपनी सीमा न लांघें- संगल
सफल वकील बनने के बाद करना गरीब वादकारियों की मदद 
वसुंधरा स्थित मेवाड़ ग्रुप ऑफ इंस्टीट्यूशंस के दयानंद सभागार में मेवाड़ लॉ इंस्टीट्यूट की ओर से आयोजित संविधान दिवस समारोह में इलाहाबाद हाईकोर्ट के पूर्व न्यायाधीश योगेन्द्र कुमार संगल ने केन्द्रीय वित मंत्री अरुण जेटली की बात को बढ़ाते हुए आग्रह किया कि सभी न्यायाधीश अपनी सीमा को पार न करते हुए काम करें। जब भी कार्यपालिका जनता के अधिकारों का उल्लंघन करती है, तभी ये मामले न्यायपालिका तक पहुंचते हैं। उन्होंने विद्यार्थियों को कठिन परिश्रम कर श्रेष्ठ वकील बनने की नसीहत दी। 
अपने सम्बोधन में उन्होंने कहा कि राष्ट्रपति को अधिकार है कि वह किसी की सज़ा में संशोधन कर सकते हैं लेकिन अफसोस यह काम अब अदालतें अपने बूते करने लगी हैं। सुप्रीम कोर्ट ने अपनी सीमा से बाहर आकर कई मामलों में न्याय देने का काम किया है। इसे ज्यूडिशियल एक्टीविज्म कहते हैं। उन्होंने कहा कि विद्यार्थी मन लगाकर कठिन परिश्रम करें। आगे बढ़ें। भगवान आपके साथ है। सफलता जरूर मिलेगी। 
समारोह में कानून की पढ़ाई कर रहे वकार, राहुल सहगल, रेनू, आरुषि, रूबी, पूजा गर्ग आदि ने विभिन्न विषयों पर अपने विचार व्यक्त कर सबका मन मोहा। मेवाड़ ग्रुप ऑफ इंस्टीट्यूशंस की निदेशक डॉ. अलका अग्रवाल ने मुख्य अतिथि योगेन्द्र कुमार संगल को स्मृति चिह्न व शॉल भेंटकर सम्मानित किया। अंत में मेवाड़ लॉ इंस्टीट्यूट के अपर महानिदेशक एके गौतम ने सभी आगंतुकों का आभार व्यक्त किया। उन्होंने बताया कि मेवाड़ लॉ इंस्टीट्यूशंस के विद्यार्थी समय-समय पर मुफ्त कानूनी शिविर का आयोजन करते हैं। तिहाड़ जेल में बराबर शिविर लगाकर कैदियों को न्याय दिलाने की मुहिम चलायी जा रही है। संचालन गुरुमहिमा ने किया। इस अवसर पर मेवाड़ लॉ इंस्टीट्यूट के महानिदेशक भारत भूषण समेत लॉ इंस्टीट्यूट का शिक्षण स्टाफ व विद्यार्थी मौजूद थे। 

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