Friday 2 December 2016

मेवाड़ में ‘विमुद्रीकरण का अर्थव्यवस्था और आम आदमी पर असर’ विषय पर विचार संगोष्ठी आयोजित

नोटबंदी पर सरकार की नीयत सही, तैयारी अधूरी- हरवीर
- समानान्तर अर्थव्यवस्था ने हमें हर संकट से उबारा- डॉ. गदिया
- अन्य वक्ताओं ने भी विचार किये व्यक्त, कहा- नोटबंदी देशहित में सही

 नोटबंदी का निर्णय लेकर सरकार ने उचित किया है। नई अर्थव्यवस्था लागू करने के पीछे सरकार की नीयत भी साफ है। लेकिन फैसला लागू करने में उसने जल्दबाज़ी दिखाई। इस कारण सरकार की तैयारियां अधूरी रहीं। इसका अगले 4-5 सालों में देश की जीडीपी पर विपरीत प्रभाव पड़ेगा। वसुंधरा स्थित मेवाड़ ग्रुप ऑफ इंस्टीट्यूशंस के विवेकानंद सभागार में आयोजित मासिक विचार संगोष्ठी में प्रख्यात पत्रकार हरवीर सिंह ने बतौर मुख्य वक्ता यह बात कही। वह ‘विमुद्रीकरण का अर्थव्यवस्था और आम आदमी पर असर’ विषय पर अपने विचार व्यक्त कर रहे थे।
उन्होंने कहा कि नोटबंदी के फैसले का दूरगामी बहुत लाभ मिलेगा। लोगों की सोच में बदलाव आएगा। नई अर्थव्यवस्था बनाने में काफी सहूलियत रहेगी। देश की जीडीपी तय करने में आसानी रहेगी। बैंक कर्ज़ा ज्यादा देंगे। ब्याज दर कम होगी। गाड़ी, जेवर, मकान सस्ते मिलेंगे। उद्योग-व्यापार में ज़्यादा निवेश का मौका मिलेगा। नये रोज़गार सृजित होंगे व देश में नई तकनीक आएगी। करों का दायरा बढ़ेगा। ईमानदार करदाताओं का भार कम होने के आसार हैं। लेकिन कैशलेस व्यवस्था देश में पूरी तरह लागू हो पाएगी, यह कहना मुश्किल है। इसे हम कैशलेस नहीं लेसकैश व्यवस्था कह सकते हैं। अभी तो देश की हालत पतली है। लोग कतार में लगे हैं। असंगठित क्षेत्र के कारोबार की कमर टूट चुकी है। मैन्यूफैक्चरिंग सेक्टर, कपड़ा उद्योग व ऑटोमोबाइल सेक्टर चरमरा गये हैं। मंडियों का बुरा हाल है। टू व्हीलर बिकने बंद हो गए हैं। आटोमोबाइल इंडस्ट्री ने तो अपना सेल एस्टीमेट घटा दिया है। इसका जीडीपी पर अगले 4-5 सालों में विपरीत असर साफ दिखाई देगा। जीडीपी दर में काफी गिरावट आने की उम्मीद है। रबी की फसल बोने के लिए किसानों के पास फिलहाल बीज व खाद नहीं है। किसानों को पैसा नहीं मिल पा रहा। उन्होंने कहा कि सरकार की तैयारी अधूरी थी तो नोटबंदी का फैसला जनवरी महीने में लिया जा सकता था। सरकार नोटबंदी के बाद बार-बार अपनी घोषणाओं में संशोधन करने में लगी है। उन्होंने कहा कि लोगों को शिक्षित करने की जरूरत थी लेकिन सरकार ने अर्थव्यवस्था रूपी रेसिंग कार के टायर में अचानक गोली मारकर विश्व में छठे पायदान पर खड़ी भारतीय अर्थव्यवस्था को औंधे मुंह गिरा दिया है। सरकार को अभी अपने प्रयासों में और तेजी लानी होगी। 
मेवाड़ ग्रुप ऑफ इंस्टीट्यूशंस के चेयरमैन डॉ. अशोक कुमार गदिया ने कहा कि विश्व के कई देशों पर बड़े से बड़ा संकट जब आया तो भारत ने मदद की। भारत की अर्थव्यवस्था कभी नहीं डगमगाई। इसका कारण यह था कि भारत में मुख्य अर्थव्यवस्था के साथ-साथ एक समानान्तर अर्थव्यवस्था भी चलती है। लोग इसे बचत का नाम देते हैं। हमारी बचत करने की प्रवृत्ति ने ही हमें हर संकट से बचाया है। कहना गलत न होगा कि विपदा में भारतीय समाज ने ही सरकारें बचाई हैं। मोदी सरकार का यह नया फैसला इस समानान्तर अर्थव्यवस्था को भी बचाएगा, यह भविष्य बताएगा। 
विचार संगोष्ठी में मुख्य वक्ता हरवीर सिंह को मेवाड़ इंस्टीट्यूशंस की ओर से शॉल व स्मृति चिह्न देकर सम्मानित किया गया। संगोष्ठी में मेवाड़ लॉ इंस्टीट्यूट के अपर महानिदेशक एके गौतम, समाजिक चिंतक सत्यदेव राय, डॉ. बीएल गौड़, गंगा सागर सिंह आदि ने भी अपने विचार व्यक्त किये। इस अवसर पर मेवाड़ ग्रुप ऑफ इंस्टीट्यूशंस की निदेशक डॉ. अलका अग्रवाल, डॉ. एसके गिलरा समेत मेवाड़ परिवार के समस्त सदस्य व विद्यार्थी मौजूद थे। विचार संगोष्ठी का मनमोहक संचालन प्रो. आईएम पांडेय ने किया। 

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