Monday 6 April 2020

भारत को आत्मनिर्भर बनना होगा

डॉ अशोक कुमार गदिया
चेयरमैन, मेवाड़ यूनिवर्सिटी
आज तालाबंदी के 12 दिन पूरे हो गये हैं। मुझे घर में बंद हुए 16 दिन हो चुके हैं। सपरिवार घर में बंद हूँ। मैं क्या बंद हूँ पूरा भारत बंद है। भारत ही क्या लगभग सारा विश्व बंद है। ऐसा लगता है कि पूरा विश्व रुक-सा गया है। जो शहर 24 घंटों काम करते थे। कभी बंद नहीं होते थे, वे पूर्णतया बंद हैं। सिर्फ आवश्यक सेवाएँ खुली हुई हैं। प्रिंट मीडिया, सोशल मीडिया और टीवी चैनल खुले हुए हैं।
पूरा विश्व भय एवं आशंकाओं से भरा हुआ है। घर बैठे हर वर्ग के लोग दुखी एवं चिन्तित हैं। उनकी मुख्य चिन्ताएँ हैं-
1- यह कोविड-19 कब काबू में आएगा? कब इसकी माकूल दवा बनेगी और लोगों में निश्चिन्तता आएगी?
2- कोरोना वायरस की उपज प्राकृतिक है या मानवकृत? यदि यह मानवकृत है तो यह वायरस किसने तैयार किया?
3- कुछ लोग कहते हैं कि इसे चीन ने अपनी प्रयोगशालाओं में तैयार किया। कुछ लोग कहते हैं कि इसे अमेरिका ने बनाया और चीन में छोड़ दिया। जबकि चीन ने इसे छिपाया है। उसने विश्व स्वास्थ्य संगठन से सांठगांठ कर पूरे विश्व में फैलने दिया। लोग जानना चाहते हैं कि असली कारण क्या हैं? असल कारणों का जानना अति आवश्यक है। क्योंकि इससे अमेरिका एवं चीन को छोड़कर सम्पूर्ण विश्व अपनी अगली रणनीति बनायेगा। द्वितीय विश्व युद्ध से अबतक के घटनाक्रमों पर नज़र डालें तो पता चलता है कि अमेरिका एवं चीन दोनों ऐसे राष्ट्र हैं जिनमें मानवता नाम की भावना अंशमात्र भी नहीं है। इन्हें अपने देश और अपनी दादागिरी से मतलब है। ये दोनों राष्ट्र विश्व के सारे संसाधनों का पूरी तरह से उपभोग करना चाहते हैं। सारे विश्व को आर्थिक, सामाजिक एवं वैचारिक रूप से गुलाम बनाकर रखना चाहते हैं। ये दोनों भी अपनी सर्वश्रेष्ठता तय करने के लिए अप्रत्यक्ष रूप से आपस में लड़ते रहते हैं। दूसरे छोटे एवं गरीब मुल्कों को बर्बाद करते रहते हैं। यह तो सर्वविदित है कि मुस्लिम आतंकवाद की जड़ सऊदी अरब है और अमेरिका इसको संरक्षण देता है। सभी मुस्लिम देशों में ज़बरदस्त झगड़े एवं फसाद करवाता है। अमेरिका ही धीर-धीरे उनको बर्बाद कर रहा है। यह भी सर्वविदित है कि अमेरिका एवं यूरोप ऐसी दवाइयाँ बना रहा है कि जो आम आदमी में एक रोग का इलाज कर उसमें दूसरा रोग पैदा कर देती हंै, जिससे उनका गोरखधंधा दिन दोगुना रात चैगुना चलता रहे। यह भी सर्वविदित है कि अमेरिका एवं चीन एक से बढ़कर एक विध्वंसक हथियार बना रहे हैं और दूसरे देशों को बेरोक-टोक बेच रहे हैं। यह भी सर्वविदित है कि अमेरिका एवं चीन विश्व के सभी बुद्धिमान लोगों को अपने पास बुलाकर उनकी मेधा का उपयोग अपनी सम्पत्ति बढ़ाने एवं बाकी सभी देशों के शोषण करने में लगा हुआ है।
यह भी सर्वविदित है कि दुनिया की अधिकांश भौतिक एवं बौद्धिक सम्पदा एवं क्षमता चीन एवं अमेरिका या उनके पिट्ठू देशों में केन्द्रित है। यह भी सर्वविदित है कि अमेरिका एवं चीन दोनों को भारत एवं भारत की भौतिक, बौद्धिक एवं युवा जनशक्ति फूटी आँख नहीं सुहाती है। यह भी सर्वविदित है कि अमेरिका एवं चीन भारत की अखंडता, अनेकता में एकता, प्रजातंत्र, सर्वधर्म सम्भाव, ईश्वरीय विश्वास एवं हर मुसीबत के समय 130 करोड़ लोगों को सारे मतभेद भुलाकर एक हो जाना बिल्कुल भी रास नहीं आता। यह भी सर्वविदित है कि अमेरिका एवं चीन भारत में हर तरह के षड्यंत्र रचकर इसे विघटित कर इस विशाल एवं महान देश के टुकड़े-टुकड़े करना चाहता है। इसके लिए दोनों देश पाकिस्तान का भरपूर इस्तेमाल करते हैं। तो इसमें क्या शंका है यदि कोरोना अप्राकृतिक है तो, या तो इन दोनों देशों की या इनमें किसी एक की यह कारस्तानी ज़रूर है। ये लोग अपने देश को छोड़कर पूर्णरूप से अमानवीय हैं। अतः ऐसी स्थिति बनाकर सारे विश्व में अफरा-तफरी फैलाकर ये अपना उल्लू सीधा करने की कोशिशों में लगे हुए हैं। सारे विश्व की अर्थव्यवस्था बर्बाद कर सारी सम्पत्ति हथिया लेने की फिराक में हैं। इसलिये यह बड़ी चिन्ता का विषय है।
4- लोगों की यह भी चिन्ता है कि लाॅकडाउन खुुलने पर देश में रोज़गार, व्यापार, अर्थव्यवस्था, शिक्षा, कृषि आदि का क्या होगा?
5- लोगों की यह भी चिन्ता है कि यह कोरोना फिर अक्टूबर-नवम्बर के महीने में वापस तो नहीं आ जाएगा?
इन सब चिन्ताओं के मध्य यह समझ आता है कि भारत के पुनर्निर्माण का समय आ गया है। हमारे नेताओं, नीति निर्धारकों, बुद्धिजीवियों, समाजसेवकों, लेखकों, साहित्यकारों, कवियों एवं पक्षकारों को मिल-बैठकर हमारे व्यापारियों और उद्योगपतियों को विश्वास में लेकर निम्नलिखित फैसले लेने पड़ेंगे-
1- भारत अपनी ज़रूरत की हर वस्तु अपने यहाँ बनायेगा। चाहे इसकी कितनी भी क़ीमत जनता को क्यों न देनी पड़े।
2- भारत सिर्फ निर्यात करेगा। तकनीक को छोड़कर बाकी का आयात योजनबद्ध तरीके से अगले 5 वर्ष में बिल्कुल ख़त्म कर देगा।
3- भारत सिर्फ तकनीक का आयात करेगा। किसी विषयवस्तु का नहीं।
4- भारत अपनी कृषि का उत्कृष्ट विकास करेगा और इसे उद्योग का दर्जा देगा। हर क़ीमत पर इसे लाभकारी क्षेत्र बनाएगा।
5- भारत श्रम का शोषण हर क़ीमत पर ख़त्म करेगा।
6- भारत अपनी आंतरिक एवं बाहरी सुरक्षा मजबूत करेगा।
7- भारत का हर नौजवान 18 वर्ष की उम्र के बाद 2 वर्ष के लिए फौज में काम करेगा।
8- भारत अपनी हर क़ीमत पर न्याय व्यवस्था पारदर्शी एवं मजबूत करेगा। 
9- भारत में दसवीं कक्षा तक की शिक्षा अनिवार्य हो, निःशुल्क हो, सबके लिए समान पाठ्यक्रम हो और सबके लिए एक तरह की सुविधाएँ हों, जिसमें भारत का गौरवशाली इतिहास, संस्कृति, सभ्यता, साम्प्रदायिक सद्भाव, सामाजिक संवेदनशीलता, महापुरुषों की जीवनियाँ अनिवार्य रूप से पढ़ाई जाएँ। देशभक्ति एवं समाजसेवा का भाव हर नौजवान में स्वाभाविक रूप से विकसित हो सके, इसकी समुचित व्यवस्था हो। बच्चे का दसवीं कक्षा पास करने का पैमाना भी यही हो। तभी भारत बच पाएगा।

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