विद्यार्थियों ने सम्भाषण, कविता, शबद-कीर्तन के जरिये किया गुरु तेग बहादुर को याद
हम दुनिया बदलने से पहले खुद को बदलें। पहले स्वयं पर शासन, फिर अनुशासन। तभी दुनिया बदलने की ताकत हममें आएगी। मेवाड़ ग्रुप ऑफ इंस्टीट्यूशंस के चेयरमैन डॉ. अशोक कुमार गदिया ने विवेकानंद सभागार में आयोजित गुरु तेग बहादुर के शहीदी दिवस समारोह में बतौर अध्यक्ष यह बात कही।
उन्होंने गुरु तेग बहादुर के जीवन के अनेक प्रेरणाप्रद संदर्भ सुनाने के बाद कहा कि गुरु तेग बहादुर केवल सिक्खों के गुरु नहीं थे, बल्कि अशक्त, लाचार, मुगलों के अत्याचारों से पीड़ित व सुविधाओं से वंचित समाज के अग्रदूत थे। धर्म की रक्षार्थ उन्होंने अपने तीन साथियों के साथ शहीद होना कबूल किया। उन्होंने जिस काम को हाथ में लिया उसे नतीजे तक पहुंचाया। गुरु तेग बहादुर सिखाते हैं कि किसी को मानना, उसका नाम जपना अलग बात होती है और किसी के बताये मार्ग पर चलकर कुर्बानी देना अलग जज्बा होता है।
शहीदी दिवस के मौके पर मेवाड़ इंस्टीट्यूशंस के छात्रों दिव्या धवन, त्रिशा राना, अंकुश कुमार, विनय, निरूपमा मिश्रा, आरती शुक्ता, पूजा रानी आदि ने सम्भाषण, कविता व शबद-कीर्तन के जरिये गुरु तेग बहादुर को याद किया। इस मौके पर मेवाड़ इंस्टीट्यूशंस की निदेशिका डॉ. अलका अग्रवाल, विधि विभाग के महानिदेशक भारत भूषण समेत तमाम स्टाफ व विद्यार्थी भारी संख्या में मौजूद थे। संचालन प्रोफेसर हरमीत कौर व बीटीसी की छात्रा सौम्या श्रीवास्तव ने संयुक्त रूप से किया।
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