Saturday 15 October 2022

ऐतिहासिक और सामाजिक दृष्टिकोण से जरुरी पुस्तक

 डॉ शशांक द्विवेदी

प्रख्यात शिक्षाविद और मेवाड़ विश्विद्यालय के चेयरमैन डॉ अशोक गदिया की पुस्तक  "मेरे अनुभव और इतिहास के झरोखे से कश्मीर"  विमोचन जम्मू -कश्मीर के उप राज्यपाल श्री मनोज सिन्हा ने किया .

ऐतिहासिक और सामाजिक दृष्टिकोण से जरुरी पुस्तक - श्री मनोज सिन्हा , उप राज्यपाल, जम्मू –कश्मीर

कश्मीर और कश्मीरियत को सही अर्थों में समझने के लिए अद्भुत पुस्तक -डॉ महेश चंद्र शर्मा

देश और दुनियां में  कश्मीर हमेशा में चर्चा और कौतहूल का विषय रहा है . कश्मीर को इतिहास और अनुभव दोनों के नजरिये से देखकर ही समझना चाहिए .इसी क्रम में कश्मीर को लेकर अपने अनुभवों को साझा करती हुई एक पुस्तक का विमोचन जम्मू -कश्मीर के उप राज्यपाल श्री मनोज सिन्हा, और इंदिरा गाँधी राष्ट्रीय कला केंद्र (आईजीएनसीए) के अध्यक्ष वरिष्ठ पत्रकार श्री रामबहादुर राय द्वारा प्रख्यात शिक्षाविद और मेवाड़ विश्विद्यालय के चेयरमैन श्री अशोक गदिया की पुस्तक  "मेरे अनुभव और इतिहास के झरोखे से कश्मीर" का विमोचन , हिंदी भवन सभागार, नई दिल्ली में किया गया. प्रभात पब्लिकेशन द्वारा प्रकाशित यह पुस्तक जम्मू कश्मीर को नए परिप्रेक्ष्य में प्रस्तुत करती है .

समारोह में जम्मू -कश्मीर के उप राज्यपाल श्री मनोज सिन्हा ने कहा कि ऐतिहासिक और सामाजिक दृष्टिकोण से डॉ अशोक कुमार गदिया की किताब ; मेरे अनुभव और इतिहास के झरोखे से कश्मीर  बहुत शानदार और पठनीय है ..अगर किसी को भारत और विशेषकर कश्मीर को समझना है तो इस किताब को हर हाल में पढ़ा जाना चाहिए . उन्होंने पुस्तक के प्रथम अध्याय को विशेष बताते हुए जम्मू कश्मीर को देश की मुख्यधारा से जोड़ने के लिए वहाँ हो रहे विकास कार्यों का जिक्र किया . उन्होंने कहा कि अब जम्मू कश्मीर में कोई भी कार्यक्रम राष्ट्रगान से शुरू होता है और राष्ट्रगान पर खत्म होता है .पहले ऐसा नहीं होता था । विकास के लिए जम्मू -कश्मीर में लगभग एक लाख करोड़ के प्रोजेक्ट्स चल रहें है और यहाँ धरातल पर सकारात्मकता बढ़ी है ।

सरकार जम्मू कश्मीर में शांति स्थापित करने की कोशिश कर रही है .

कार्यक्रम के अध्यक्ष वरिष्ठ पत्रकार श्री रामबहादुर राय ने कहा कि जिसने इस पुस्तक के पहले अध्याय को पढ़ा, समझा और अनुभव कर लिया, उसके लिए कश्मीर के इतिहास का झरोखा खुलता जाता है यह पुस्तक इसी अध्याय में पूरी और यहीं से शुरू भी होती है। यही अध्याय पुस्तक का सूत्र रूप है। जिसे सूत्र समझ में आ जाए उसके लिए शेष पुस्तक उसका भाष्य होगा,उन्होंने पुस्तक के पहले अध्याय में कश्मीरी छात्रों के लिए लेखक के कठिन संघर्षों के जिक्र किया.

कार्यक्रम के विशिष्ट अतिथि जम्मू -कश्मीर अध्ययन केंद्र के अध्यक्ष जवाहर लाल कौल ने कहा कि पुस्तक ऐतिहासिक तथ्यों से भरपूर और पठनीय है,लेखक के अपने अनुभव लिखने का अंदाज एकदम निराला है ,स्टोरी टेलिंग की स्टाइल में अनुभव है ,बड़ी बातों को सहजता से कहा गया है.कश्मीर को करीब से जानने के लिए हर किसी को ये किताब जरूर पढ़नी चाहिए..

कार्यक्रम के विशिष्ट अतिथि एकात्म मानव प्रतिष्ठान के अध्यक्ष डॉ महेश चंद्र शर्मा ने कहा कि कश्मीर और कश्मीरियत को सही अर्थों में समझने के लिए ये अद्भुत पुस्तक है . लेखक ने पूरे कश्मीर का भ्रमण करके अपने अनुभवों के आधार पर इसे लिखा है जो सभी के लिए बहुत उपयोगी है .

पुस्तक के लेखक डॉ अशोक गदिया ने आये हुए सभी अतिथियों का आभार जताते हुए कहा कि कश्मीर न सिर्फ भारत का अभिन्न अंग है बल्कि उसकी आत्मा हैं . उन्होंने मेवाड़ विश्वविद्यालय में पढ़ने वाले  कश्मीरी छात्रों के संघर्ष का जिक्र करते हुए अपने अनुभव साझा किये .

किताब के इस अंश से लेखक के विचार को समझिये

मुझे भरोसा है कि कुछ ही दिनों में हम हंसता, बोलता और खेलता हुआ कश्मीर देखेंगे .जो बम धमाके , बंदूखे ,गोलियां और आतंकवाद वहाँ दिख रहा है ,उसकी जगह हँसते खेलते बच्चें स्कूल जाएंगे , लोगों का इलाज होगा ,युवाओं को रोजगार मिलेगा और डल ,लेह में किसी भी प्रकार के डर के बगैर कोई भी नागरिक आराम से परिवार के साथ जा पाएगा.

पुस्तक के लेखक डॉ अशोक गदिया ने  पूर्व प्रधानमंत्री स्वर्गीय अटल बिहारी बाजपेई के बयान को उद्धृत करते हुए लिखा है कि “हम दोस्त बदल सकतें है परंतु पड़ोसी नहीं बदल सकतें .हमें आपस मे मिल जुलकर रहना पड़ेगा तथा एक सुदृढ़ ,स्वस्थ और समृद्ध पाकिस्तान भारत के हित मे होगा “.

विमोचन कार्यक्रम में सैकड़ों अतिथियों की  भागीदारी रही .इस कार्यक्रम का समापन मेवाड़ इंस्टीटूट गाजियाबाद की निदेशिका डॉ अलका अग्रवाल द्वारा  द्वारा धन्यवाद ज्ञापन देकर किया गया। उन्होने कार्यक्रम में उपस्थित सभी लोगों का आभार जताया। पुस्तक विमोचन के दौरान मेवाड़ विश्विद्यालय के बोर्ड ऑफ मैनेजमेंट के सदस्य अर्पित माहेश्वरी, मेवाड़ विश्वविद्यालय के निदेशक डॉ शशांक द्विवेदी ,लोकनीति के जानकार अविनाश चंद्र ,आर्गेनिक खेती के विशेषज्ञ संदीप शर्मा सहित   अन्य गणमान्य लोग उपस्थित रहे।

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