मुझे
थोड़ी हिम्मत और दे ...
दुःख
, तकलीफ ,अभाव एवं उलझनें
बहुत
है ,और बढ़ती जा रही है ,
समाधान
,सुलझाव एवं खुशियाँ
कहीं
दूर तक दिखाई नहीं दे रहीं ,
पर
,मन है कि हार नहीं मानता ,
कहता
है कि
जब
तेरी नीयत साफ़ है ,
तू
बेईमान नहीं ,धोखेबाज नहीं
जरुरतमंदों
को सहायता करना चाहता है ,
तो
तेरी हार कैसे होगी
साथी
,
एक
–एक कर साथ छोड़ रहें है ,
सबको
चिंता हो रही है
अपने
भविष्य की ,
सरकार
में बैठे मंत्री से लेकर संतरी तक
हमारा
अस्तित्व ही समाप्त करने पर आमादा है ,
उनके
सहयोगी ,
जिन
पर हमें नाज था ,
कि
आड़े वक्त में काम आयेंगे ,
हमें
ही कसूरवार ठहरा रहें है ,
चलों
,
यह
चुनौती भी स्वीकार है ,
हम
राणा की संतान है ,
इतनी
आसानी से हार मानने वाले नहीं ,
इस
वक्त ....याद आती है ,
अपने
पिता जी की ,
अपने
पितातुल्य गुरु बाउजी और प्रभाष जी की
वे
आज नहीं हैं ,
लेकिन
उनका आशीर्वाद सदैव साथ है ,
प्रार्थना
है माँ सरस्वती से ,
क्योकि
वह तो जानती है ,
कि
मेरे मन में क्या है ,
मुझे
थोड़ी हिम्मत और दे ,
कि
मै इस धर्मयुद्ध में विजयी रहूँ ,
और
उनको
उनका हक़ दिलवा सकू ,
जोकि
सदियों से
अपने
हकों से वंचित है ...
अनुपम प्रेरणादायक
ReplyDeleteVery nice poem sir
ReplyDeleteVery nice poem sir
ReplyDeleteReally heart touching poem, GOD and we all are always with you sir
ReplyDeleteGreat Sir, nice poem........
ReplyDeleteMewar team is always with you to fulfill all the fruitful dreams in welfare of society.