Friday 20 November 2015

सांस्कृतिक राष्ट्रवाद की एक मजबूत नींव रखते हुए डॉ अशोक कुमार गदिया

शशांक द्विवेदी
डिप्टी डायरेक्टर (रिसर्च), मेवाड़ यूनिवर्सिटी 
पिछले कुछ ही महीनें पहले मेवाड़ यूनिवर्सिटी ज्वाइन किया ,जब यहाँ आया तो बहुत सारी शंकाएं और आशंकाएं मन में थी लेकिन मेवाड़ में रहते हुए जब मैंने यहाँ का माहौल देखा तो हतप्रभ रह गया ,सच कहें तो यह देश में एकमात्र ऐसा विश्वविद्यालय है जहाँ आधुनिकतम पढाई के साथ साथ देश की संस्कृति के दर्शन होते है .यहाँ देश के लिए अपना महत्वपूर्ण योगदान देने वाले महापुरुषों की जयंती नियमित तौर से पूरे हर्षोल्लास के साथ मनाई जाती है ,साथ में इन महापुरुषों के पद चिन्हों पर चलने के लिए बच्चों को प्रेरित किया जाता है .हर महीनें देश और समाज से जुड़े हुए किसी महत्वपूर्ण मुद्दे पर विचार गोष्ठी का आयोजन होता है .लेकिन यह सब संभव हो पा रहा है यहाँ के राष्ट्रवादी चेयरमैन डॉ अशोक कुमार गदिया के कुशल नेतृत्व की वजह से ,उनकी दूरदर्शी सोच की वजह से .आज के दौर में जब देश के अधिकांश संस्थान /विश्वविद्यालय सिर्फ अपना आर्थिक हित साधने में लगे हुए है वही डॉ अशोक जी में अपने संस्थान /विश्विद्यालय में सांस्कृतिक राष्ट्रवाद की एक मजबूत नीव रख दी जो आज के नौजवानों के साथ साथ देश के युवा पीढ़ी को प्रेरणा देती रहेगी .लेकिन डॉ गदिया का ये सफ़र इतना आसान नहीं रहा या यह कहें की आसान नहीं है लेकिन वो तमाम मुश्किलों के बीच भी डटें है मैदान में ..तमाम समस्यायों के साथ भी मुस्करातें हुए मिलते है .आज के हालात में सरकारी से लेकर गैर सरकारी तक तमाम कोशिशें/साजिशें  हो चुकी है उन्हें गिराने की/परेशान करने की लेकिन फिर भी वो इन सबका मुकाबला करने को मैदान में खड़े है .डॉ गदिया का साफ कहना है कि इस देश और समाज के लिए मैं अपने विजन ,मिशन और लक्ष्य के प्रति पूरी तरह से समर्पित हूँ  और उससे तनिक भी डिगने वाला नहीं हूँ .उनकी यही जिजीविषा मेवाड़ विश्वविद्यालय की सबसे बड़ी ताकत है ,पूंजी है .संस्थान के लिए उनकी मेहनत और लगन की जितनी तारीफ़ की जाए उतनी कम है, कल 19 नवम्बर को संस्थान में रानी लक्ष्मी बाई की जयन्ती बहुत धूमधाम से मनाई गयी ,उसी दौरान डॉ गदिया ने  वर्तमान भारत को जोड़ते हुए रानी लक्ष्मी बाई पर बहुत शानदार और प्रेरणादायक भाषण दिया .एकदम नवीनतम तथ्यों के साथ ऐसा भाषण/विचार मैंने अभी तक की अपनी जिंदगी में तो नहीं सुना .उन्होंने अपने भाषण में देश की वर्तमान स्तिथि पर भी बहुत वाजिब सवाल उठाते हुए कहा कि पिछले 35 सालो में भारत अपने किसी भी पडोसी के साथ अपने संबंध ठीक नहीं कर पाया .इसी वजह से आज हम विकास की दौड़ में बहुत पीछे रह गए .उन्होंने यह भी कहा कि देश के राजनीतिक नेतृत्व के अपने स्वार्थ और अदूरदर्शिता की वजह से भारत भविष्य में फिर से गुलाम हो सकता है .क्योकि हमारे देश के पास हर क्षेत्र में पर्याप्त संसाधन होते हुए भी हम कोई भी पालिसी ठीक से नहीं बना पा रहें है .उन्होंने अपने वक्तव्य में और भी बहुत सी बातें रखी जो एकदम नई थी और मै पहली बार सुन रहा था . संस्थान में होने वाली हर जयंती और विचार गोष्ठी में डॉ गदिया को सुनना मुझे व्यक्तिगत तौर पर बहुत दिलचस्प और प्रेरणादायक लगता है क्योकि उनके विचारों से खुद मुझे नई दिशा मिलती है .  सच बात तो यह है कि मुझे उनके साथ काम करने का जो सौभाग्य मिल रहा है इसे मै सिर्फ ईश्वरीय अनुकम्पा मानता हूँ और हमेशा सोचता हूँ कि डॉ गदिया के विजन और मिशन के लिए मै अपने पूरे समर्पित भाव से काम करू .


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