180 विद्यार्थियों ने लिया भाग, तीन विजेता घोषित
- विजेताओं को नकद धनराशि से किया गया पुरस्कृत
- समाजसेवी गौरव गर्ग व मेवाड़ इंस्टीट्यूट की निदेशिका
डॉ. अलका अग्रवाल ने दिये पुरस्कार
पूर्व राष्ट्रपति एपीजे अब्दुल कलाम पर आधारित निबंध प्रतियोगिता में बच्चों ने अपनी समझ और हुनर का बखूबी इस्तेमाल किया। निबंध प्रतियोगिता के विजेता रहे विद्यार्थियों को विवेकानंद सभागार में नकद धनराशि देकर पुरस्कृत किया गया। समाजसेवी गौरव गर्ग और मेवाड़ इंस्टीट्यूट की निदेशिका डॉ. अलका अग्रवाल ने विजेताओं को पुरस्कार दिये।
गौरव गर्ग ने बच्चों को सम्बोधित करते हुए अब्दुल कलाम के अनेक संस्मरण और कोटेशन सुनाईं। उन्होंने कहा कि हम देश का कानून तो नहीं बदल सकते, लेकिन सिस्टम को बदलने की ताकत जरूर रखते हैं। आज का नौजवान ही इस सिस्टम से दो-दो हाथ कर सकता है। उन्होंने विद्यार्थियों से आह्वान किया कि वे देश के लचर सिस्टम को बदलने के लिए आगे आएं। मेवाड़ इंस्टीट्यूट की निदेशिका डॉ. अलका अग्रवाल ने कहा कि निबंध प्रतियोगिता का आयोजन करने का मकसद बच्चों को कलाम साहब के बारे में जानकारी देना था। इसी तरह मेवाड़ इंस्टीट्यूट में समय-समय पर महापुरुषों की जयंतियां मनाई जाती हैं ताकि बच्चे इनके बारे में जान सकें। इंस्टीट्यूट का मकसद बच्चों को केवल पाठ्यक्रम से रूबरू कराना ही नहीं है, बल्कि विभिन्न गतिविधियों के जरिये उनका सर्वागींण विकास करना भी है। ताकि वे समाज की मुख्यधारा से जुड़कर देश के विकास में अपना समुचित योगदान दे सकें। उन्होंने बच्चों को कहा कि वे शिक्षकों के मार्गदर्शन में अपनी पढ़ाई जारी रखें और भविष्य में अच्छे नागरिक बनें। शिक्षा विभाग के अध्यक्ष प्रोफेसर प्रमोद कुमार मदैसिया ने बताया कि निबंध प्रतियोगिता का विषय- ‘अब्दुल कलाम को मिसाइलमैन क्यों कहते हैं’ रखा गया था। अंग्रेजी और हिन्दी भाषा में शिक्षा विभाग के कुल 180 विद्यार्थियों ने निबंध लिखे। इनमें मानसी भूषण को प्रथम, सरवेन्द्र सिंह को द्वितीय और नेहा राघव को तृतीय घोषित किया गया। मानसी को 3100, सरवेन्द्र को 2100 और नेहा को 1100 रुपये की नकद राशि पुरस्कार में दी गई। इसके अलावा स्मृति झा, राकेश ओझा, पूनम त्रिपाठी व बबीता को सांत्वना पुरस्कार के लिए चुना गया। इन्हें इंस्टीट्यूट की ओर से प्रमाण पत्र दिये जाएंगे। पुरस्कार समारोह का सफल संचालन प्रोफेसर प्रमोद कुमार मदैसिया ने किया। इस मौके पर मेवाड़ इंस्टीट्यूट का शिक्षण-गैर शिक्षण स्टाफ व विद्यार्थी काफी संख्या में मौजूद था।
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