Saturday 11 June 2016

उत्तराखंड स्कालरशिप मुद्दे पर मेवाड़ विश्वविद्यालय ने रखा अपना पक्ष

पिछले कुछ समय से मीडिया में मेवाड़ विश्वविद्यालय को लेकर कुछ नकारात्मक ख़बरें प्रकाशित हुई है  जो तथ्यों को अनदेखी करके लिखी गई है .उत्तराखंड स्कालरशिप मुद्दे पर मेवाड़ विश्वविद्यालय ने अपना पक्ष रखा है उस पर भी गंभीरता से गौर किया जाना चाहिए 
मेवाड़ विवि का उत्तराखंड सरकार से सविनय निवेदन
           एवं कथित स्कॉलरशिप घोटाले पर विनम्र जवाब

   मेवाड़ विवि राजस्थान सरकार के अधिनियम 2009 के अन्तर्गत राजस्थान विधानसभा में पारित प्रस्ताव से स्थापित एक प्रतिष्ठित विश्वविद्यालय है। इसमें विभिन्न विषयों में लगभग 7000 विद्यार्थी उच्च शिक्षा प्राप्त कर रहे हैं। विश्वविद्यालय में कुल संख्या के 75 प्रतिशत विद्यार्थी अति गरीब व दलित श्रेणी से आते हैं। लगभग 23 राज्यों से विद्यार्थी यहाँ आकर पढ़ रहे हैं। 90 प्रतिशत विद्यार्थी ग्रामीण परिवेश से हैं।  सत्र 2014-15 में उत्तराखण्ड से लगभग 400 विद्यार्थियों ने अनुसूचित जाति व अनुसूचित जनजाति कोटे और वर्ष 2015-16 में लगभग 125 विद्यार्थियों ने प्रवेश लिया। चूंकि ये बच्चे सरकारी स्कॉलरशिप में आये थे, अतः इनका पंजीकरण वहां के समाज कल्याण बोर्ड की वेबसाइट पर तत्काल कर दिया गया। बैंक खाता खुलवाने में विश्वविद्यालय के अधिकारियों की सिर्फ इतनी ही भूमिका रही कि उन्होंने बैंक मैनेजर से आग्रह किया। कहा कि ये हमारे विद्यार्थी हैं। बैंक खाते खोलने का सारा काम विद्यार्थियों ने स्वयं या उनके कंसलटेंट ने ही किया। अतः यह कहना कि विश्वविद्यालय द्वारा फर्जी खाते खुलवाये गए, सरासर गलत है। विद्यार्थियों को प्रवेश के बाद नियमित रूप से पढ़ने आना था। जब वे नहीं आये तो उन्हें फोन किये गये। उन्हें व्यक्तिगत रूप से पत्र लिखे गये। इसके बावजूद जब विद्यार्थी पढ़ने नहीं आये तो उनका दाखिला निरस्त कर दिया गया। इसकी विधिवत सूचना समाज कल्याण अधिकारी को लिखित में दे दी गई। यह सब कार्य विजीलेंस विभाग की ओर से दर्ज कराई गई पुलिस रिपोर्ट से पहले ही पूरे कर लिए गये थे। यहां स्पष्ट कर दें कि विश्वविद्यालय को किसी तरह की कोई स्कॉलरशिप इन बच्चों या उत्तराखंड सरकार से नहीं मिली है, और न ही उन्हें चाहिए। यह भी बताना उचित होगा कि विश्वविद्यालय ने अपनी ओर से कभी भी स्कॉलरशिप की मांग भी नहीं की। न ही बच्चों का सत्यापन किया कि ये बच्चे यहाँ पढ़ रहे हैं। इस पूरे प्रकरण से उत्तराखंड के महामहिम राज्यपाल, माननीय मुख्यमंत्री एवं विजीलेंस विभाग के निदेशक-अपर पुलिस महानिदेशक महोदय को लिखित में अवगत करवाया जा चुका है। विश्वविद्यालय के ऊपर लगे तमाम आरोप तथ्यों से परे हैं। उत्तराखंड के विजीलेंस विभाग के आला अधिकारियों से अनुरोध है कि हम पर अनर्गल आरोप लगाकर हमपर मुकदमे दर्ज करना बंद करें। हमारा उत्तराखंड के शासन-प्रशासन में बैठे पदाधिकारियों व विजीलेंस विभाग के अधिकारियों से करबद्ध निवेदन है कि इस प्रकरण को छात्रवृत्ति घोटाले का नाम देकर समाज को गुमराह न करें। जब हमने सरकार के एक नये पैसे का भी गबन नहीं किया है, तो इसे घोटाले का रूप कैसे दिया जा रहा है।  जो पैसा 3.64,400 रुपए, मात्र 28 बच्चों के बैंक खातों में भेजा गया, वह तो समाज कल्याण विभाग ने भेजा था। उनका भौतिक सत्यापन भी विभाग के अधिकारियों ने पहले किया ही होगा। वह पैसा भी 28 बच्चों के बैंक खाते सीज कर समाज कल्याण विभाग ने वापस ले लिये हैं। फिर भी उत्तराखंड के विजीलेंस विभाग को लगता है कि हम दोषी हैं तो हम मामले की जांच-पड़ताल में पूरा सहयोग कर रहे हैं, और भविष्य में भी करते रहेंगे। हमारा करबद्ध अनुरोध यह भी है कि इस प्रकरण को घोटाले का नाम देकर हमारे विवि को बदनाम करने का प्रयास न करें। विवि के किसी भी अधिकारी या कर्मचारी को न तो प्रताड़ित करें और न ही उन्हें गिरफ्तार किया जाये। हमें भारत की न्याय व्यवस्था पर पूर्ण विश्वास है। हमें इस प्रकरण में न्याय अवश्य मिलेगा। भारतीय लोकतंत्र में हमारी पूरी आस्था है। 
 रजिस्ट्रार , मेवाड़ विश्वविद्यालय एवं समस्त मेवाड़ विश्वविद्यालय परिवार

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