Monday 2 November 2015

देश के सामाजिक ताने-बाने को किसी भी सूरत में बिगड़ने न दे

डॉ - अशोक कुमार गदिया
 कुलाधिपति, मेवाड़ विश्वविद्यालय
हमारा देश महान है ,हमारी संस्कृति एवं सभ्यता महान है। हमें विश्व इसलिये जानता है कि  हम इस महान संस्कृति के वाहक हैं। हमारे यहाँ घृणा, असहिष्णुता एवं  प्रतिक्रियावाद का कोई स्थान नहीं है। पिछले कुछ वर्षों से एक तबका प्रजातंत्र एवं अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के नाम पर खड़ा हुआ है। जिसका काम सिर्फ ज़हरीला आलाप करना है। जो समाज में अलगाव, घृणा, असहिष्णुता, ओछापन एवं प्रतिक्रियावाद को बढ़ावा दे रहा है,  जोकि बहुत ख़तरनाक है। यह मनोवृत्ति समाज को विघटित एवं देश को बांटने की ओर ले जाती है। जब मुसीबत का समय आता है देश के लिये जीने-मरने एवं कुछ करने का अवसर आता है तब ये लोग कहीं दिखाई नहीं देते हैं। हमें यह नहीं भूलना चाहिये कि हमारा देश एवं समाज एक बहुसंस्कृति, पूजा-पद्धति, रीति-रिवाज, खान-पान, पहनावा, भाषा, रंग-रूप का देश है। इसमें सामंजस्य बनाने में बहुत समय लगता है और इसके ताने-बाने को बिगाड़ने में बहुत कम समय लगता है। इसलिये हर जिम्मेदार एवं जागरूक भारतीय का यह फर्ज है कि वह अपने सामाजिक ताने-बाने को किसी भी सूरत में बिगड़ने न दे और असामाजिक तत्वों को अपने नापाक इरादों में सफल न होने दे। तब ही हम अपने देश को आगे बढ़ा सकते हैं और विश्व पटल पर एक सभ्य समाज की श्रेणी में आ सकते हैं।

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