शशांक द्विवेदी
डिप्टी डायरेक्टर
(रिसर्च), मेवाड़ यूनिवर्सिटी, चितौड़गढ (राजस्थान )
इंडस्ट्री को चाहिए प्रशिक्षित स्नातक
प्रशिक्षण का सीधा
संबंध रोजगार से
इंजीनियरिंग छात्रों को अब तकनीकी शिक्षा
के साथ-साथ इंडस्ट्री में उसकी प्रेक्टिकल ट्रेनिंग भी मिलेगी। देश में इसकी पहल मेवाड़
विश्वविद्यालय करने जा रहा है .मेवाड़ विश्वविद्यालय अपने कैम्पस में छात्रों को
पढाई के साथ साथ इंडस्ट्री के साथ जोड़ने का प्लान बना रही है .इसमें विश्वविद्यालय
के
छात्र कंपनियों के क्लाइंट्स से सीधे संपर्क स्थापित करेगें और प्रोजेक्ट के
माध्यम से उनकी समस्यायों का निराकरण करेगे ।इससे छात्रों की बौद्धिक क्षमता
,प्रखरता और मौलिकता में वृद्धि होगी ।
भारत को सुपरपावर बनाने के लिए वर्तमान में इस बात की
जरूरत है कि इंडस्ट्री और इंस्टीट्यूट एक धरातल पर काम करे ।पिछले दिनों इन्फोसिस
के संस्थापक और आई टी दिग्गज नारायणमूर्ति ने कहा था कि सूचना प्रौद्योगिकी
इंडस्ट्री को प्रशिक्षित इंजिनियर नहीं मिलते । आज जरुरत इस बात की है कि
इंजीनियरिंग छात्रों को प्रेक्टिकल नॉलेज मिले और इंडस्ट्री की जरुरत के हिसाब से
अपडेट थ्योरी। इससे इंडस्ट्री को प्रशिक्षित स्नातक मिलेगे इसी बात को ध्यान में रखते हुए मेवाड़
विश्वविद्यालय ने छात्रों को पढाई के साथ साथ इंडस्ट्री के साथ जोड़ने का फैसला
किया है . देश की इंडस्ट्रीज में कुशल मानव संसाधन की भारी कमी है। इस योजना से वह
कमी भी दूर होगी। असल में ये सुविधा अभी मेडिकल क्षेत्र में ही है कि छात्र
वहां पढ़ाई के दौरान प्रेक्टिकल ज्ञान भी प्राप्त कर लेता है।
तकनीकी शिक्षा प्राप्त करने वाले छात्रों को यह
सुविधा नहीं है। इस पहल से तकनीकी शिक्षा प्राप्त करने वाले छात्रों को पढ़ाई के
साथ-साथ इंडस्ट्री में जाकर प्रेक्टिकल ज्ञान प्राप्त कर सकेगा। इंजीनियरिंग
कॉलेजों का इंडस्ट्री से अटैचमेंट जरूरी है। इससे जीडीपी (औद्योगिक विकास दर)
बढ़ेगी और देश सुपर पावर बनेगा।
मेवाड़ विश्वविद्यालय के चेयरमैन डॉ अशोक कुमार
गदिया ने कहा कि इंस्टीट्यूट और इंडस्ट्री
के बीच दूरी कम होना जरूरी है। छात्रों की ऊर्जा को इस फील्ड में लगाना है। विश्वविद्यालय
की ओर से ट्रेनिंग की सुविधा दी जाएगी। इस सम्बन्ध में जरुरी सारी औपचारिकतायें
पूरी की जा चुकी है । इससे तकनीकी शिक्षा प्राप्त कर रहे छात्रों की प्रतिभा का
उपयोग होगा। एजुकेशनल सिस्टम में कोर्सेज का आधुनिकीकरण जरूरी है।क्योकि आज हमारे
शैक्षिक कोर्स 20 साल पुराने है ,इसलिए इंडस्ट्री के
हिसाब से छात्रों को प्रशिक्षण बहुत जरुरी है । बिना इसके आज नौकरी पाना सबसे बड़ा
चुनौतीपूर्ण कार्य होता जा रहा है ।
सूचना प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में
सूचना प्रौद्योगिकी के इस युग में प्रोडक्शन और
डेवलपमेंट के क्षेत्र में इंजीनियरों की
मांग एकदम से बढ़ी है। लेकिन यह भी सच है कि आईटी शिक्षा प्राप्त करने वाले अधिकतर
प्रशिक्षुओं को इसके बारे में कोई जानकारी ही नहीं है। प्रोडक्शन और डेवलपमेंट के
क्षेत्र में ट्रेनिंग करने के तुरंत बाद कम्प्यूटर निर्माण, एसेम्बलिंग
करने वाली राष्ट्रीय/बहुराष्ट्रीय कंपनियों में अच्छे ऑफर मिलने लगते हैं। आजकल
कंप्यूटर निर्माण करने वाली कंपनियां प्रशिक्षित इंजीनियरों को ही ऊंचे वेतनमान पर तुरंत रोजगार
दे रही हैं। आज संपूर्ण आईटी उद्योग सच माइने में प्रोडक्शन और डेवलपमेंट इंजीनियर
की कार्य-कुशलता पर ही टिका हुआ है।
विश्वविद्यालय द्वारा आईटी क्षेत्र की
बेहतरीन कंपनियों के सहयोग से ट्रेनिग और लाइव प्रोजेक्ट ट्रेनिंग करने के बाद , इंजीनियरिंग स्नातक होने के बाद शुरूआती
वेतन पन्द्रह से बीस हजार से शुरू होकर कुछ ही माह में अनुभवानुसार
30,000 रूपए तक आसानी से पहुंच जाता है। बहुराष्ट्रीय कंपनियों में वेतन की कोई
सीमा नहीं है। बशर्ते योग्यता व अनुभव हो। कोर्स के अंतिम चरण में छात्रों को
साक्षात्कार की तैयारी करने एवं नौकरी खोजने के तौर तरीकों से भी अवगत कराया जाता
है। इसमें छात्रों को अपनी मैनेजरियल स्किल के साथ सोशल सेंसिटिविटी में भी खरा
उतरना होगा। इस ट्रेनिंग कोर्स में छात्रों को आईटी और सॉफ्टवेयर से संबंधित
विषयों की ट्रेनिंग दी जाती है, जैसे प्रोग्रामिंग
लैंग्वेज, डाटाबेस, नेटवर्किंग, ऑपरेटिंग सिस्टम आदि।
अंतिम सेमेस्टर में छात्रों को इंडस्ट्रियल टे्रनिंग के रूप में प्रोजेक्ट वर्क भी
करना होता है, ताकि उन्हें सॉफ्टवेयर
इंडस्ट्री की कार्य-प्रणाली का वास्तविक अनुभव हो सके। बाद में जॉब के दौरान इस
अनुभव का काफी फायदा मिलता है। आज हर फील्ड में कंप्यूटर की जरूरत बनी हुई है, जहां आवश्यकता के अनुसार नए-नए सॉफ्टवेयर की मांग बनी
रहती है। ऐसे में आईटी सेक्टर में अपार संभावनाए बनी हुई हैं। इसलिए वर्तमान माहौल
में इस फील्ड में सफलता के लिए उचित प्रशिक्षण की महती आवश्यकता है । क्योकि
प्रशिक्षण का सीधा संबंध रोजगार से है। भारतीय सॉफ्टवेयर
प्रोफेशनलों का लोहा पूरी दुनिया मानती है। क्लाउड कम्पुटिंग आपको एक ऐसा
प्लेटफॉर्म उपलब्ध कराता है, जिसके बाद आप आईटी की
दुनिया में अपना बेहतर मुकाम बना सकते हैं। अच्छा कैरियर विकास, बेहतर सैलरी पैकेज, रोजगार की असीम संभावनाओं जैसी कई खूबियां क्लाउड
कम्पुटिंग के साथ जुड़ी हैं। यह सूचना प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में नयी फील्ड है
इस कारण इस कोर्स का युवाओं में काफी क्रेज है।
मेवाड़ विश्वविद्यालय के चेयरमैन डॉ अशोक कुमार
गदिया के अनुसार इंजीनियरिंग की शिक्षा
ग्रहण करने वाले विद्यार्थी कल के देश निर्माता है और भविष्य की जरूरतों को पूरा
करने का दायित्व भी इन्ही इंजीनियरों पर होगा। हम सबका दायित्व है कि ऐसे भावी
इंजीनियरों को ऐसी शिक्षा मिले की वह अपने जीवन में न केवल देश को वरन विश्व को भी
नई राह दिखा सके और आने वाली चुनौतियों का निराकरण भी कर सके। इसी उद्देश्य को
लेकर मेवाड़ विश्वविद्यालय में इंजीनियरिंग की शिक्षा उपलब्ध कराई जा रही है और
छात्रों को उत्कृष्ट शिक्षा देने के लिए आधुनिक यंत्रों उपकरणों के माध्यम से
प्रायोगिक शिक्षा देने का प्रयास किया जा रहा है जिससे इंजीनियरिंग छात्रों की
जिज्ञासा बलवती हो सके।
इस तरह के प्रशिक्षण से उच्च शैक्षिक
कार्य ,प्रशिक्षण और शोध कार्यों के मध्य समन्वय स्तापित हो सकेगा । साथ ही इंडस्ट्री
और विश्वविद्यालय के मध्य एक कॉमन प्लेटफार्म स्थापित करना है ।जिससे विश्वविद्यालय
के विद्यार्थियों को अंतर्राष्ट्रीय स्तर के औद्योगिक विशेषज्ञों के निर्देशन में
प्रशिक्षण लेने का मौका मिलेगा ।साथ ही इंडस्ट्रीज को प्रशिक्षित और कुशल इंजिनियर
मिल सकेगे ।जो इंडस्ट्री की मांग के अनुसार काम कर सकेगे ।
स्किल
डेवलपमेंट
छात्रों में स्किल डेवलपमेंट के
द्वारा छात्रों की प्रतिभा और दक्षता (अपग्रेड )को बढ़ा सकती है । इस प्रकार का
सम्पूर्ण प्रयास विद्यार्थियो के सपनो को साकार करने में सफल साबित होगा । जिससे
छात्रों के भविष्य में रोजगार की भावनाये प्रबल हो सकेगी ।
पढाई के साथ साथ प्रशिक्षण
पढाई के साथ साथ प्रशिक्षण हो तो यह और भी अच्छा है। वैसे भी पढाई-लिखाई आजकल इतनी महंगी हो
चुकी है कि कुछ ऐसे तरकीब तो ढूंढने ही होंगे जिससे अभिभावकों का दबाव कम हो। इसे
देखते हुए इंजीनियरिंग छात्र अपनी पढ़ाई के साथ-साथ घर बैठे आईटी के बड़े
प्रोजेक्ट्स डील कर रहे हैं। इन प्रोजेक्ट्स के लिए कंपनियां उन्हें अच्छा खासा
स्टाइपेंड भी दे रही हैं। छात्र भले ही फिर वह घर बैठकर काम करें या कॉलेज में
बैठकर।
परीक्षा के समय में छात्र इन प्रोजेक्ट को रोक भी
सकते हैं और बाद में काम शुरू कर सकते हैं। यह नया चलन आईटी इंजीनियरिंग के
छात्रों को बहुत पसंद आ रहा है। आने वाले समय में इसे और सही रूप देने की कोशिश चल
रही है छात्रों को आईटी के इन प्रोजेक्ट्स पर काम करने के लिए सीधे क्लाइंट्स से
इंटरेक्शन कराया जायेगा । इसमें वेब
डिजाइनिंग, वेब
अपडेटिंग, कंटेंट
राइटिंग, सॉफ्टवेयर
डवलपिंग और मार्केट सर्वे जैसे काम खास हैं। कंपनियां ऐसे तकनीकी कामों के लिए
छात्रों की डिग्री और अंक से यादा उनकी व्यावहारिक कामों को तवजो दे रही हैं।
फिलहाल इस तरह के प्रोजेक्ट केपीओ (नॉलेज प्रोसेस आउटसोर्सिग) की ओर से दिए जा रहे
हैं। इस केपीओ के लिए छात्रों को ट्रेनिंग देने का काम वर्चुअल प्रोजेक्ट्स के जरिए
ही किया जा रहा है।
इस काम से छात्रों को उद्योगों की जरूरतें जानने को
मिल रही हैं और उनका अनुभव भी बढ़ रहा है। कितनी अच्छी बात है कि पढ रहे युवाओं को
पैसा और अनुभव के साथ-साथ कंपनियों व उद्योग-धंधों का एक्पोजर मिल रहा है। स्टूडेंट
को डिग्री के बाद और डिग्री के दौरान ट्रेनिंग के लिए बड़ी संख्या में विकल्प
मिलेंगे। स्टूडेंट प्रेक्टिकल नॉलेज ले पाएंगे और खुद को इंडस्ट्री की जरूरत के
मुताबिक तैयार कर पाएंगे। स्टूडेंट्स की पढ़ाई में जो कमी रह जाती है, वो
फील्ड में पूरी हो सकेगी
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