Wednesday, 19 October 2016

मेवाड़ में ‘वैकल्पिक विवाद समाधान’ विषय पर गेस्ट लेक्चर आयोजित

 देश की अदालतों में लंबित मामलों की 
बढ़ती संख्या पर वकीलों ने जताई चिंता
- विद्यार्थियों को विवाद समाधान के अनेक तरीकों से अवगत कराया                                        

 देश की अदालतों में लंबित मामलों की बढ़ती संख्या चिंता का विषय बनने लगी है। पीड़ितों को समय से न्याय न मिलने से चिंतित अधिवक्ताओं का सुझाव है कि अदालतों में मामले ले जाने से पहले उनका आपसी सहमति से निबटारा हो जाना चाहिए। वसुंधरा स्थित मेवाड़ लॉ इंस्टीट्यूट की ओर से आयोजित गेस्ट लेक्चर में इसी विषय पर दो वरिष्ठ अधिवक्ताओं ने विस्तार से प्रकाश डाला और समाज को समय पर न्याय दिलाने की प्रक्रिया का अधिक से अधिक उपयोग करने की बात कही।

वरिष्ठ अधिवक्ता अक्सा एस. फातिमा ने विवाद समाधान के विकल्पों की कानून के विद्यार्थियों को जानकारी दी। उन्होंने विद्यार्थियों को बताया कि वैकल्पिक विवाद समाधान में कुछ ऐसे तरीके हैं, जिंन्हें अपनाकर अदालत में जाए बिना विवादों का समाधान आपसी सहमति से किया जा सकता है। ये तरीके हैं- माध्यस्थम्, मध्यस्थता, मोल-भाव, समझौता आदि। उन्होंने बताया कि इन तरीकों से अनेक लाभ मिलते हैं। जैसे- यह सरल व द्रुतगामी प्रक्रिया है। इसमें गोपनीयता बनी रहती है। यह प्रक्रिया कम खर्चीली होती है। इसमें समयावधि का निर्धारण किया जा सकता है। सुश्री फातिमा के अनुसार खाप पंचायतों के जरिये भी न्याय मिलने में आसानी रहती है। वरिष्ठ अधिवक्ता अमिताभ कुमार ने भी वैकल्पिक विवाद समाधान को समाजहित में उचित ठहराया और इसके जरिये जल्द न्याय मिलने की प्रक्रिया को बेहतर करार दिया। मेवाड़ ग्रुप ऑफ इंस्टीट्यूशंस की निदेशक डॉ. अलका अग्रवाल ने दोनों अतिथि अधिवक्ताओं को स्मृति चिह्न देकर सम्मानित किया। इस अवसर पर मेवाड़ लॉ इंस्टीट्यूट के महानिदेश भारत भूषण, शिक्षण स्टाफ एवं भारी संख्या में विद्यार्थी मौजूद थे। संचालन मेघा जुनेजा ने किया। 


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