दयानंद के विचार आज भी प्रासंगिक- डॉ. अलका
- विद्यार्थियों ने महर्षि दयानंद के जीवन व आदर्शों पर डाला प्रकाश
‘जीवन में कामयाब होना है तो तीन बातों को अमल में लाओ- सत्य की साधना, परोपकार और सकारात्मक सोच।’ महर्षि दयानंद सरस्वती जयंती पर यह बात मेवाड़ ग्रुप ऑफ इंस्टीट्यूशंस की निदेशिका डॉ. अलका अग्रवाल ने विवेकानंद सभागार में लोगों को कही। उन्होंने कहा कि महर्षि दयानंद के विचार आज भी प्रासंगिक हैं। इन्हें अमल में लाना होगा। इन्हें अमल में लाने पर ही विश्व में व्याप्त तमाम विवादों और पाखंडों से बचा जा सकता है।
उन्होंने महर्षि दयानंद के जीवन चरित्र और उनके आदर्शों पर विस्तार से प्रकाश डाला। डॉ. अलका अग्रवाल ने कहा कि आज भी हम कुरीतियों, अंध विश्वास व रुढ़ परम्पराओं में जकड़े हुए हैं। आज भी थोथे कर्मकांड के हम शिकार हैं। वर्ण व्यवस्था आज भी कायम है। वर्ष 1875 में आर्य समाज की स्थापना के समय महर्षि दयानंद ने हरिद्वार में पाखंड खंड खंडिनी पताका गाड़कर सभी विद्वानों को शास्त्रार्थ की चुनौती दी। इसमें उन्होंने तमाम अंधविश्वासों व विरोधों को समाप्त कर स्त्री शिक्षा पर जोर दिया। वर्ण व्यवस्था, अंधविश्वास, रुढ़ परम्परा, लोभ, मोह आदि का त्याग करने की बात कही। डॉ. अलका अग्रवाल ने कहा कि महिलाएं एक बार दयानंद सरस्वती का सत्यार्थ प्रकाश जरूर पढ़ें। इससे पता चलेगा कि दयानंद सरस्वती महिलाओं के विकास के कितने प्रबल पक्षधर थे।
जयंती समारोह की शुरुआत मां सरस्वती, भारत माता व दयानंद सरस्वती के चित्र के समक्ष दीप जलाकर व पुष्प अर्पित करके हुई। इस मौके पर विद्यार्थियों ने सरस्वती वंदना, वंदे मातरम, सम्भाषण, आर्य समाज के नियम, प्रार्थना, दयानंद के प्रवचन आदि प्रस्तुत कर सबका मन मोह लिया। समारोह में मेवाड़ लॉ इंस्टीट्यूट के महानिदेशक भारत भूषण समेत तमाम शिक्षण स्टाफ मौजूद था। संचालन बीटीसी के विद्यार्थी विजय व चित्रा ने किया।
जयंती समारोह से पूर्व वसंत पंचमी भी मेवाड़ ग्रुप ऑफ इंस्टीट्यूशंस में धूमधाम से मनायी गई। मां शारदे की मूर्ति को पंचामृत से स्नान कराया गया। स्नान मेवाड़ इंस्टीट्यूषंस की निदेषिका डॉ. अलका अग्रवाल, मेवाड़ लॉ इंस्टीट्यूट के महानिदेषक भारत भूषण आदि स्टाफ सदस्यों ने कराया। वस्त्र, फूल-फल, मेवे का भोग लगाने के बाद मंदिर परिसर में मेवाड़ के षिक्षण स्टाफ व विद्यार्थियों ज्योति श्रीवास्तव, हरीश, दिनेश, अमर, पूनम, अनमोल, चंदन आदि ने भजन-कीर्तन से मां शारदे के प्रति अपनी आस्था, आराधना व वंदना के स्वर समर्पित किए। मेवाड़ इंस्टीट्यूशंस की निदेशिका डॉ. अलका अग्रवाल ने बताया कि हर वर्ष वसंत पंचमी का पर्व इसी प्रकार से मनाया जाता है। इसका मकसद षिक्षा के मंदिर में शारदे का वंदन कर षिक्षा का माहौल बनाये रखना तो है ही, हर सम्प्रदाय के विद्यार्थियों में मां शारदे का पूजन-वंदन करने की प्रेरणा देना भी है। इसके बाद मेवाड़ के तमाम स्टाफ समेत आम लोगों के लिए विशाल भंडारे का आयोजन भी किया गया।
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