Friday 11 December 2015

मेवाड़ में मानवाधिकार दिवस समारोह आयोजित

‘सभी धर्मों का आदर कर देश को बनाएं मजबूत’
- धर्म निरपेक्षता पर हुई मॉक मीडिया प्रतियोगिता में विद्यार्थियों ने उछाले अनेक मुद्दे
- मानवाधिकारों के प्रति लोग जागरूक नहीं- डॉ. भाखरी
- लोग जागरूक होते तो नहीं बढ़ती हिंसा- कौशिक
- कर्णधारों से पहले अपनी सोच को बड़ा बनाएं- डॉ. गदिया
- मानव अधिकार नहीं मानव कर्तव्य दिवस मनाएं- डॉ. अलका

वसुंधरा स्थित मेवाड़ लॉ इंस्टीट्यूट की ओर से विवेकानंद सभागार में आयोजित मानवाधिकार दिवस समारोह में ‘धर्म निरपेक्षता’ पर हुई मॉक मीडिया प्रतियोगिता में शामिल होकर विद्यार्थियों ने अपने तर्क-वितर्कों से खूब समां बांधा। प्रतियोगिता में विभिन्न किरदारों का अभिनय कर विद्यार्थियों ने गुजरात दंगा, कश्मीर विवाद, 1984 का सिक्ख दंगा जैसे मुद्दों पर वार्ता की और अंत में सुझाव दिया कि देश से बढ़कर और कुछ नहीं होता है। इसलिए सभी धर्मों का आदर करते हुए देश को मजबूत बनाने की हर किसी वर्ग को पहल करनी होगी। राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग की संयुक्त निदेशक डॉक्टर सविता भाखरी ने समारोह में बतौर मुख्य अतिथि शिरकत की। अपने सम्बोधन में उन्होंने चिंता व्यक्त की कि मानवाधिकारों की सुरक्षा को लेकर देश के लोग अभी जागरूक नहीं हैं। इसका मुख्य कारण है मानवाधिकारों की लोगों को सही जानकारी न होना। उन्होंने बताया कि उनका आयोग लोगों को जागरूक करने के लिए विभिन्न कार्यक्रम संचालित किये हुए है। 
उन्होंने बताया कि वर्ष 1993 में आयोग का गठन हुआ था। तब से अब तक कुल नौ करोड़, एक लाख 90 हजार मामले आयोग ने सुने और निबटाये हैं। 496 शिकायतें इस वर्ष मिलीं। इनमें से 363 शिकायतों की निगरानी की जा रही है। अनुसूचित जाति व जनजाति वर्ग के मामलों को लेकर आयोग गंभीर है। 28 जिलों को निगरानी में लिया हुआ है। विशिष्ट अतिथि सुप्रीम कोर्ट के अधिवक्ता आरपी कौशिक ने कहा कि अगर आयोग गंभीर है तो देश में बढ़ती हिंसा को रोकना होगा। मेवाड़ ग्रुप ऑफ इंस्टीट्यूशंस के चेयरमैन डॉ. अशोक कुमार गदिया ने मानव अधिकारों व इनके उल्लंघन के कारणों पर विस्तार से प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि देश के कर्णधारों की सोच को बड़ा करने के लिए हमें अपनी सोच को पहले बड़ा बनाना होगा। हमें गली-मोहल्लों के विवादों से निकलकर विश्वस्तरीय मुद्दों को हल करने की पहल करनी होगी। तभी अपना देश विकास की राह पर चलेगा। असमानता का भाव मिटाना होगा। अगर 20 प्रतिशत लोग 80 प्रतिशत लोगों के हकों को मारने पर तुले रहे तो हम पाषाण युग की ओर धकेल दिये जाएंगे। सहिष्णुता जैसे मुद्दे को गंभीरता से सोचना होगा। इस मौके पर उन्होंने मुख्य अतिथि व विशिष्ट अतिथि को मेवाड़ की ओर से स्मृति चिह्न व शॉल भेंटकर सम्मानित किया। 
समारोह में लॉ की छात्रा जयादेवी व रोज़ा शमीम ने मानवाधिकार के महत्व पर सम्भाषण दिया। अंत में मेवाड़ इंस्टीट्यूशंस की निदेशिका डॉक्टर अलका अग्रवाल ने सभी का आभार व्यक्त करते हुए कहा कि हम मानवाधिकार दिवस से पहले मानव कर्तव्य दिवस मनाना सीखें। जब हम अपने कर्तव्यों को लेकर सजग होंगे तभी अपने अधिकारों को लेकर गंभीर हो सकेंगे। समारोह में मेवाड़ लॉ इंस्टीट्यूट के महानिदेशक भारत भूषण, अपर महानिदेशक एके गौतम समेत लॉ इंस्टीट्यूट का शिक्षण स्टाफ व भारी संख्या में विद्यार्थी मौजूद थे। संचालन अर्शिया ने किया। राष्ट्रगान के साथ समारोह का समापन हुआ। 

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