Monday 19 October 2015

मेवाड़ में साइबर अपराध, सुरक्षा व जागरूकता पर ‘सिम्पोजियम’ आयोजित

युवाओं को जेल भिजवा सकता है ट्विटर, फेसबुक या व्हाट्सअप 
- भारत में साइबर अपराधों की संख्या तीन लाख तक पहुंची
- चाइल्ड पोर्नोग्राफी के मामले सबसे ज्यादा
- साइबर अपराध को रोकने के लिए होना होगा सचेत
इंटनेट पर जो फाइल हम डीलीट करके मान लेते हैं कि हम अपराध करके मुक्त हो गये, असल में वह फाइल कभी डीलीट नहीं होती। फोरेंसिक टीम 



उस फाइल को ढूंढ ही निकालती है। हमारे खिलाफ मुकदमा दर्ज हो सकता है। हमें जेल की हवा भी खानी पड़ सकती है। इसलिए हमें ट्विटर, फेसबुक व व्हाट्सअप आदि सोशल साइट्स पर गलत या अश्लील टिप्पणी करने से बचना होगा। अन्यथा हम साइबर अपराध कर रहे हैं और इसके लिए हमें सजा जरूर मिलेगी। वसुंधरा स्थित मेवाड़ ग्रुप ऑफ इंस्टीट्यूशंस के विवेकानंद सभागार में कंप्यूटर साइंस विभाग की ओर से आयोजित ‘सिम्पोजियम’ में शामिल हुए साइबर विशेषज्ञों ने इस बात का खुलासा किया। उन्होंने इसे चिंताजनक बताया और नौजवानों को इससे सावधान रहने की हिदायत दी।

साइबोर्ग साइबर फोरेन्सिक एंड इंफोरमेशन सिक्योरिटी प्राइवेट लिमिटेड कंपनी के साइबर मैनेजर्स गुरुमीत कौर व लक्ष्य मल्होत्रा ने विद्यार्थियों को बताया कि भारत में तकनीकी विकास के साथ ही साइबर अपराध भी पांव पसारने लगा है। पिछले पांच सालों में साइबर अपराध के मामले 13,301 से बढ़कर तीन लाख तक जा पहुंचे हैं। इनमें सबसे अधिक साइबर अपराध चाइल्ड पोर्नाेग्राफी के हैं। जिनके लगातार बढ़ने की संभावना से इंकार नहीं किया जा सकता। वर्ष 2011 में साइबर अपराधों की संख्या भारत में 13,301 थी। वर्ष 2012 में 22060 हो गई। वर्ष 2013 में 71780 और 2014 में 1,49,254 अपराध दर्ज हुए। जनवरी 2015 तक साइबर अपराधों की संख्या तीन लाख दर्ज हुई है। उन्होंने बताया कि साइबर अपराधों में साइबर स्टॉकिंग, साइबर पोर्नोग्राफी, चाइल्ड पोर्नोग्राफी, इंटलैक्चुअल प्रॉपर्टी क्राइम्स, साइबर टेरेरिज्म प्रमुख हैं। साइबर विशेषज्ञों ने विद्यार्थियों को साइबर अपराध, दुरुपयोग, बचाव के उपाय एवं प्रभाव, इसके लिए भारतीय संविधान में निर्धारित पेनल कोड व सजा के प्रावधान से भी अवगत कराया। उन्होंने कहा कि साइबर अपराध रोकने के लिए हमें सजग होना होगा और लोगों में जागरूकता फैलानी होगी। मेवाड़ ग्रुप ऑफ इंस्टीट्यूशंस के चेयरमैन डॉ. अशोक कुमार गदिया ने कहा कि विद्यार्थी ठान लें कि उसे जिंदगी में कुछ बनकर दिखाना है तो वह जरूर सफल होंगे। नौकरी व परिवार से अलग भी कुछ समाज व देश के लिए करना का जज्बा हमें औरों से अलग बनाता है। हमें अपनी परख स्वयं करनी होगी। तभी हम सफलता का आसमान छू सकते हैं। उन्होंने साइबर विशेषज्ञ लक्ष्य मल्होत्रा को इस अवसर पर मेवाड़ की ओर से स्मृति चिह्न देकर सम्मानित किया। सिम्पोजियम के आयोजन में कंप्यूटर साइंस विभाग के अध्यक्ष त्रिलोक सिंह, उपाध्यक्ष आशीष पांडेय, श्वेता सिंह, अम्बुज शर्मा, शिवानी आदि स्टाफ का सहयोग रहा।    

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