
नदियां अवरुद्ध हुईं तो देश को आ जाएगा हार्ट अटैक-विक्रांत
लोग समझदार और जागरूक बनें- डॉ. गदिया
नदियां देश की धमनियां हैं। अगर ये अवरुद्ध या अधिक प्रदूषित हो गईं तो देश को हार्ट अटैक आ जाएगा। इसलिये इन्हें प्रदूषण या अवरुद्ध होने से बचाना होगा। वसुंधरा स्थित मेवाड़ ग्रुप ऑफ इंस्टीट्यूशंस के विवेकानंद सभागार में आयोजित मासिक विचार संगोष्ठी में बतौर मुख्य वक्ता सुपरिचित पर्यावरणविद् व अधिवक्ता विक्रांत शर्मा ने ये विचार व्यक्त किये। विचार संगोष्ठी का विषय ‘भारत की नदियां- बिगड़ता स्वरूप और सुधार के प्रयास’ था।
विक्रांत ने कहा कि नदियों को प्रदूषित करने में ग्रामीण लोगों का नहीं पढ़े-लिखे शहरी लोगों का हाथ अधिक है। फैक्ट्रियों से निकलने वाला कैमिकलयुक्त गंदा पानी, नाले-सीवर नदियों को प्रदूषित करने में लगे हैं। उन्होंने बताया कि पिछले 35 सालों से हिन्डन नदी को प्रदूषित करने का सिलसिला अधिक तेजी से बढ़ा है। नदियों को प्रदूषण से बचाने का काम तो आटे में नमक के बराबर हुआ है जबकि प्रदूषित करने का प्रयास कई गुना अधिक हुआ है। उन्होंने चलचित्रों व चित्रों के माध्यम से कुछ ऐसे उदाहरण पेश किये जिन्हें देखकर महसूस हुआ कि नदियों का स्वरूप बिगाड़ने में गैर जागरूक लोगों की बहुत बड़ी भूमिका रही है। उन्होंने कहा कि नदियों को समझो और जागरूक बनो। उन्होंने पांच ‘आर’ फार्मूलों के जरिये पर्यावरण संरक्षण व नदियों को बचाने के उपाय लोगों को बताये।

विचार संगोष्ठी में मेवाड़ इंस्टीट्यूशंस की निदेशिका डॉ. अलका अग्रवाल, मेवाड़ लॉ इंस्टीट्यूट के महानिदेशक भारत भूषण समेत तमाम मेवाड़ परिवार के सदस्य व विद्यार्थी मौजूद थे। डॉ. गदिया ने मुख्य वक्ता विक्रांत शर्मा को शॉल व स्मृति चिह्न देकर सम्मानित किया। संगोष्ठी का सफल संचालन प्रोफेसर आईएम पांडेय ने किया।
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