Wednesday 30 March 2016

मेवाड़ में विचार संगोष्ठी :नदियां अवरुद्ध हुईं तो देश को आ जाएगा हार्ट अटैक-विक्रांत

 मेवाड़ में नदियों पर विचार संगोष्ठी आयोजित
नदियां अवरुद्ध हुईं तो देश को आ जाएगा हार्ट अटैक-विक्रांत 
लोग समझदार और जागरूक बनें- डॉ. गदिया
 नदियां देश की धमनियां हैं। अगर ये अवरुद्ध या अधिक प्रदूषित हो गईं तो देश को हार्ट अटैक आ जाएगा। इसलिये इन्हें प्रदूषण या अवरुद्ध होने से बचाना होगा। वसुंधरा स्थित मेवाड़ ग्रुप ऑफ इंस्टीट्यूशंस के विवेकानंद सभागार में आयोजित मासिक विचार संगोष्ठी में बतौर मुख्य वक्ता सुपरिचित पर्यावरणविद् व अधिवक्ता विक्रांत शर्मा ने ये विचार व्यक्त किये। विचार संगोष्ठी का विषय ‘भारत की नदियां- बिगड़ता स्वरूप और सुधार के प्रयास’ था।
विक्रांत ने कहा कि नदियों को प्रदूषित करने में ग्रामीण लोगों का नहीं पढ़े-लिखे शहरी लोगों का हाथ अधिक है। फैक्ट्रियों से निकलने वाला कैमिकलयुक्त गंदा पानी, नाले-सीवर नदियों को प्रदूषित करने में लगे हैं। उन्होंने बताया कि पिछले 35 सालों से हिन्डन नदी को प्रदूषित करने का सिलसिला अधिक तेजी से बढ़ा है। नदियों को प्रदूषण से बचाने का काम तो आटे में नमक के बराबर हुआ है जबकि प्रदूषित करने का प्रयास कई गुना अधिक हुआ है। उन्होंने चलचित्रों व चित्रों के माध्यम से कुछ ऐसे उदाहरण पेश किये जिन्हें देखकर महसूस हुआ कि नदियों का स्वरूप बिगाड़ने में गैर जागरूक लोगों की बहुत बड़ी भूमिका रही है। उन्होंने कहा कि नदियों को समझो और जागरूक बनो। उन्होंने पांच ‘आर’ फार्मूलों के जरिये पर्यावरण संरक्षण व नदियों को बचाने के उपाय लोगों को बताये।
मेवाड़ विश्वविद्यालय के कुलाधिपति डॉ. अशोक कुमार गदिया ने कहा कि सरकारों के पास नदियों की साफ सफाई का भरपूर बजट होता है मगर उनके नुमाइंदे पैसा प्रगति रिपोर्ट बनाने में ही खर्च करने में जुटे हुए हैं। उन्होंने कहा कि हम अपना घर तो ठीक कर रहे हैं मगर आस-पास गंदगी फैलाने में लगे हैं। इस प्रवृत्ति को रोकना होगा। हम अधिक पढ़-लिख तो गये हैं मगर समझदार नहीं हो पाये। जब हम कम संसाधनों में रहने वाले अनपढ़ लोग थे तो पवित्रता हमारा धर्म होता था मगर आज इस पवित्रता को हम खोते जा रहे हैं। उन्होंने लोगों को जागरूक होने की बात कही। उन्होंने कहा कि 15 अगस्त या 26 जनवरी मना लेने से या छोटी-मोटी समाज सेवा कर लेने भर से हम देशभक्त नहीं कहला सकते, हमें पर्यावरण शुद्धि, नदियों की साफ सफाई जैसे कामों को कने के लिए पहले अपने अंदर बसे वैचारिक प्रदूषण से मुक्ति पानी होगी। कोई सरकार या सख्ती हमें वैचारिक प्रदूषण से मुक्त नहीं कर सकती। इसके लिए हमें स्वयं प्रयास करने होंगे। 
विचार संगोष्ठी में मेवाड़ इंस्टीट्यूशंस की निदेशिका डॉ. अलका अग्रवाल, मेवाड़ लॉ इंस्टीट्यूट के महानिदेशक भारत भूषण समेत तमाम मेवाड़ परिवार के सदस्य व विद्यार्थी मौजूद थे। डॉ. गदिया ने मुख्य वक्ता विक्रांत शर्मा को शॉल व स्मृति चिह्न देकर सम्मानित किया। संगोष्ठी का सफल संचालन प्रोफेसर आईएम पांडेय ने किया। 

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