Monday, 13 July 2015

मेवाड़ में ’अर्थपूर्ण शिक्षण व कौशल आधारित शिक्षा’ विषय पर नेशनल सेमिनार

68 शोधार्थियों ने विश्वस्तरीय कौशल विकास शिक्षण विधियों पर की चर्चा
मेक इन इंडियास्किल इंडियाअभियान से विद्यार्थियों को जोड़ने पर दिया ज़ोर
मेवाड़ ग्रुप ऑफ इंस्टीट्यूशंस के शिक्षा विभाग की ओर से आयोजित नेशनल सेमिनार में शिक्षा की विश्वस्तरीय कौशल विधियों पर देशभर के दो दर्जन से अधिक विश्वविद्यालयों के शिक्षाविद्ों ने 68 शोधपत्र पढ़कर एनसीआर में नया इतिहास बनाया। सेमिनार का विषय अर्थपूर्ण शिक्षण एवं कौशल आधारित शिक्षाथा। अपने शोधपत्रों में प्रतिभागी वक्ताओं ने बताया कि विश्वस्तरीय विधियां अपनाकर शिक्षक कक्षा का वातावरण जीवंत बना सकते हैं। विद्यार्थियों में पढ़ाई के प्रति रुचि जगा सकते हैं। उन्हें कौशल आधारित विधियों से पढ़ाकर मेक इन इंडियास्किल इंडियाअभियान से विद्यार्थियों को जोड़ सकते हैं।

मेवाड़ ग्रुप ऑफ इंस्टीट्यूशंस के चेयरमैन डॉ.अशोक कुमार गदिया ने कहा कि शिक्षकों को भारत में अपनी कक्षा की परिस्थितियों व विद्यार्थियों की क्षमता के अनुरूप अपने मॉडल तैयार करने होंगे। ताकि हम पूरी ईमानदारी के साथ उन्हें पढ़ाकर विश्वस्तरीय प्रतियोगिता में खड़ा होने का मौका दे सकें। उन्होंने कहा कि स्कूल-कॉलेजों में पाठ्यक्रम आधारित शिक्षा देने का काम हम केवल एक प्रतिशत करते हैं। सौ में से 70 प्रतिशत विद्यार्थी सही में शिक्षक बन पाते हैं। 80 प्रतिशत विद्यार्थी केवल नौकरी पाने के लिए शिक्षा ग्रहण करते हैं। इससे समाज व देश का विकास नहीं हो सकता। अगर विद्यार्थियों को समाज व देश की मुख्यधारा से जोड़ना है तो उन्हें कौशल विकास आधारित शिक्षा देनी ही होगी। उन्होंने कहा कि गूगल अच्छा सोर्स है, लेकिन इसकी मदद लें, शिक्षक इसकी नकलकर विद्यार्थियों को न पढ़ाएं। शिक्षक अपनी रचना या कृति स्वयं तैयार करें। इससे बच्चे नकल करने के बजाय अपनी मेधा का सही इस्तेमाल करना सीखेंगे और हमें भी तसल्ली होगी कि हमने ईमानदारी से बच्चों को योग्य बनाया। उन्होंने कहा कि शिक्षक बच्चों को अपने साथ जोड़ें। उनकी रुचियां व अभिरुचियां पहचानें। उन्हें पढ़ाई के प्रति सम्मोहित करें। उनमें पढ़ने की ललक पैदा करें। उन्होंने कहा कि आज विश्वस्तरीय शिक्षा की विधियां अपनाने की जरूरत है ताकि आज के भारतीय बच्चे विश्वस्तरीय शिक्षण प्रतियोगिता में अपने आपको कहीं कम न समझें।
इंस्टीट्यूशंस की निदेशिका डॉ.अलका अग्रवाल ने सेमिनार के उद्देश्यों पर प्रकाश डाला और मेवाड़ के एडुविजन जर्नलके महत्व की जानकारी दी। सेमिनार के विशिष्ट अतिथि एनसीईआरटी एलीमेंटरी एजुकेशन के पूर्व निदेशक प्रोफेसर केके वशिष्ठ ने शिक्षण भागीदारी को आवश्यक बताया। कहा कि यह शिक्षक की भागीदारी पर निर्भर करता है कि वह छात्रों को किस विधि से पढ़ाए। आज इस भागीदारी की मात्रा को बढ़ाना होगा। शिक्षण और प्रशिक्षण को विश्वस्तरीय बनाना होगा। मुख्य वक्ता एनआरसीई कॉलेज खुर्जा के प्रोफेसर एबी भटनागर ने कहा कि शिक्षक ऐसी विधियों का प्रयोग करें जिससे सभी छात्र एक समान सीख सकें। अगर शिक्षण प्रक्रिया प्रभावी होगी तो उसके नतीजे भी प्रभावी निकलेंगे। दिल्ली विश्वविद्यालय से सम्बद्ध पीजीडीएवी कॉलेज में गणित विभाग के एसोसिएट प्रोफेसर डॉ. जगमोहन राय ने कहा कि छात्रों को वास्तविक जीवन से संबंधित अनुभव प्रदान करने चाहिएं। ताकि छात्र अपनी समस्या का समाधान स्वयं कर सकें।
इससे पूर्व मेवाड़ ग्रुप ऑफ इंस्टीट्यूशंस के चेयरमैन डॉ. गदिया व निदेशक डॉ. अलका अग्रवाल के साथ आमंत्रित अतिथियों ने शारदे मां व भारत माता के चित्र के समक्ष दीप जलाया व पुष्प अर्पित किए। मेवाड़ के चेयरमैन डॉ. गदिया ने सभी अतिथियों को स्मृति चिह्न व गुलदस्ते देकर सम्मानित किया। मेवाड़ शिक्षा विभाग के अध्यक्ष प्रमोद मदैसिया ने शिक्षा को फ्रेंडली एप्रोच बताया। उप विभागाध्यक्ष डॉ. तान्या गुप्ता ने बताया कि सेमिनार में कुल 300 प्रतिभागियों ने भाग लिया। दिल्ली-एनसीआर के अलावा देशभर से 68 प्रतिभागी थे। दो तकनीकी सत्रों में पूरा नेशनल सेमिनार आयोजित किया गया। इनमें शिक्षा की विश्वस्तरीय विधियों, कौशल व गुणवत्तायुक्त शिक्षा, शिक्षण-प्रशिक्षण, सीखने की नई पद्धतियों पर विस्तार से प्रकाश डाला गया। दूसरे सत्र में सवाल-जवाब का दौर चला। इसमें विद्यार्थियों व शोधार्थियों ने अपनी जिज्ञासा शांत की। इस दौरान एडुविजनका विमोचन भी हुआ। नेशनल सेमिनार में इंदिरापुरम पब्लिक स्कूल की प्रधानाचार्य रेनू शर्मा, महर्षि वाल्मीकि कॉलेज ऑफ एजुकेशन के एसोसिएट प्रोफेसर डॉ. संजीव कुमार वर्मा, छवि शर्मा, चेतना विवेक, तफसीर फातमा, प्रतिभा सिंह, गुंजन, जेबा खानम, राजेश पांडेय, जयप्रकाश, अनुपमा सिंह, महिमा सक्सेना, शिवालिका वर्मा, नैना दीक्षित, अनुज यादव, शोभना आदि शोधार्थियों ने शोधपत्र पढ़े। 47 शोधपत्र इग्नू, जामिया मिलिया विवि नई दिल्ली, एचएनबी गढ़वाल विवि, उत्तराखंड, एमिटी विवि, नोएडा, दयालबाग एजुकेशन इंस्टीट्यूट आगरा, जीजीएसआईपी विवि दिल्ली, जीवाजी विवि ग्वालियर, इलाहाबाद विवि, पंजाब विवि, चौधरी चरण सिंह विवि, एनसीईआरटी क्षेत्रीय कार्यालय मैसूर व नई दिल्ली के शोधार्थियों ने प्रस्तुत किये। अंत में मेवाड़ ग्रुप ऑफ इंस्टीट्यूशंस की निदेशक डॉ. अलका अग्रवाल की ओर से प्रतिभागियों को प्रमाण पत्र वितरित किए गए।  



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