’मेक इन इंडिया’ व ’स्किल इंडिया’ अभियान से विद्यार्थियों
को जोड़ने पर दिया ज़ोर
मेवाड़ ग्रुप ऑफ इंस्टीट्यूशंस के शिक्षा विभाग की ओर
से आयोजित नेशनल सेमिनार में शिक्षा की विश्वस्तरीय कौशल विधियों पर देशभर के दो
दर्जन से अधिक विश्वविद्यालयों के शिक्षाविद्ों ने 68 शोधपत्र पढ़कर एनसीआर में नया
इतिहास बनाया। सेमिनार का विषय ’अर्थपूर्ण शिक्षण एवं कौशल आधारित शिक्षा’ था। अपने शोधपत्रों में
प्रतिभागी वक्ताओं ने बताया कि विश्वस्तरीय विधियां अपनाकर शिक्षक कक्षा का
वातावरण जीवंत बना सकते हैं। विद्यार्थियों में पढ़ाई के प्रति रुचि जगा सकते हैं।
उन्हें कौशल आधारित विधियों से पढ़ाकर ’मेक इन इंडिया’ व ’स्किल इंडिया’ अभियान से विद्यार्थियों
को जोड़ सकते हैं।
इंस्टीट्यूशंस की निदेशिका डॉ.अलका अग्रवाल ने
सेमिनार के उद्देश्यों पर प्रकाश डाला और मेवाड़ के ’एडुविजन जर्नल’ के महत्व की जानकारी दी।
सेमिनार के विशिष्ट अतिथि एनसीईआरटी एलीमेंटरी एजुकेशन के पूर्व निदेशक प्रोफेसर
केके वशिष्ठ ने शिक्षण भागीदारी को आवश्यक बताया। कहा कि यह शिक्षक की भागीदारी पर
निर्भर करता है कि वह छात्रों को किस विधि से पढ़ाए। आज इस भागीदारी की मात्रा को
बढ़ाना होगा। शिक्षण और प्रशिक्षण को विश्वस्तरीय बनाना होगा। मुख्य वक्ता एनआरसीई
कॉलेज खुर्जा के प्रोफेसर एबी भटनागर ने कहा कि शिक्षक ऐसी विधियों का प्रयोग करें
जिससे सभी छात्र एक समान सीख सकें। अगर शिक्षण प्रक्रिया प्रभावी होगी तो उसके
नतीजे भी प्रभावी निकलेंगे। दिल्ली विश्वविद्यालय से सम्बद्ध पीजीडीएवी कॉलेज में
गणित विभाग के एसोसिएट प्रोफेसर डॉ. जगमोहन राय ने कहा कि छात्रों को वास्तविक
जीवन से संबंधित अनुभव प्रदान करने चाहिएं। ताकि छात्र अपनी समस्या का समाधान
स्वयं कर सकें।
इससे पूर्व मेवाड़ ग्रुप ऑफ इंस्टीट्यूशंस के चेयरमैन
डॉ. गदिया व निदेशक डॉ. अलका अग्रवाल के साथ आमंत्रित अतिथियों ने शारदे मां व
भारत माता के चित्र के समक्ष दीप जलाया व पुष्प अर्पित किए। मेवाड़ के चेयरमैन डॉ.
गदिया ने सभी अतिथियों को स्मृति चिह्न व गुलदस्ते देकर सम्मानित किया। मेवाड़
शिक्षा विभाग के अध्यक्ष प्रमोद मदैसिया ने शिक्षा को फ्रेंडली एप्रोच बताया। उप
विभागाध्यक्ष डॉ. तान्या गुप्ता ने बताया कि सेमिनार में कुल 300 प्रतिभागियों ने भाग
लिया। दिल्ली-एनसीआर के अलावा देशभर से 68 प्रतिभागी थे। दो तकनीकी सत्रों में पूरा नेशनल
सेमिनार आयोजित किया गया। इनमें शिक्षा की विश्वस्तरीय विधियों, कौशल व गुणवत्तायुक्त
शिक्षा, शिक्षण-प्रशिक्षण,
सीखने की नई
पद्धतियों पर विस्तार से प्रकाश डाला गया। दूसरे सत्र में सवाल-जवाब का दौर चला।
इसमें विद्यार्थियों व शोधार्थियों ने अपनी जिज्ञासा शांत की। इस दौरान ’एडुविजन’ का विमोचन भी हुआ। नेशनल
सेमिनार में इंदिरापुरम पब्लिक स्कूल की प्रधानाचार्य रेनू शर्मा, महर्षि वाल्मीकि कॉलेज
ऑफ एजुकेशन के एसोसिएट प्रोफेसर डॉ. संजीव कुमार वर्मा, छवि शर्मा, चेतना विवेक, तफसीर फातमा, प्रतिभा सिंह, गुंजन, जेबा खानम, राजेश पांडेय, जयप्रकाश, अनुपमा सिंह, महिमा सक्सेना, शिवालिका वर्मा, नैना दीक्षित, अनुज यादव, शोभना आदि शोधार्थियों
ने शोधपत्र पढ़े। 47 शोधपत्र इग्नू, जामिया मिलिया विवि नई दिल्ली, एचएनबी गढ़वाल विवि, उत्तराखंड, एमिटी विवि, नोएडा, दयालबाग एजुकेशन इंस्टीट्यूट आगरा, जीजीएसआईपी विवि दिल्ली,
जीवाजी विवि
ग्वालियर, इलाहाबाद विवि, पंजाब विवि, चौधरी चरण सिंह विवि, एनसीईआरटी क्षेत्रीय कार्यालय मैसूर व नई दिल्ली के
शोधार्थियों ने प्रस्तुत किये। अंत में मेवाड़ ग्रुप ऑफ इंस्टीट्यूशंस की निदेशक
डॉ. अलका अग्रवाल की ओर से प्रतिभागियों को प्रमाण पत्र वितरित किए गए।
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