Thursday 10 September 2015

मेवाड़ में विधिशास्त्र की उपयोगिता पर अतिथि व्याख्यान आयोजित

विधिशास्त्र के अध्ययन बिना वकील बनना ऐसा है जैसे बिना जुराबों के जूते पहनना। अगर अच्छा वकील बनना है तो विधिशास्त्र में महारथ हासिल करनी ही होगी। तीस हजारी कोर्ट दिल्ली के मशहूर वकील प्रतीक चतुर्वेदी ने मेवाड़ लाॅ इंस्टीट्यूट के विवेकानंद सभागार में विधि के विद्यार्थियों को यह जानकारी दी। ’कानूनी पेशे में विधिशास्त्र की उपयोगिता’ विषय पर श्री चतुर्वेदी बोल रहे थे। 
अपने विशेष अतिथि व्याख्यान में श्री चतुर्वेदी ने बताया कि विधि के क्षेत्र में प्रवेश करने से पहले एक व्यक्ति का भाषा के साथ विषय पर भी नियंत्रण होना चाहिये। कोई भी व्यक्ति जो विधि व्यवसाय में है, एक सफल अधिवक्ता या न्यायधीश तभी हो सकता है, जब वह विधिशास्त्र का अधिकतम ज्ञान रखता हो। विधिशास्त्र का वास्तविक अर्थ सामान्य सारांश का अन्वेषण है। इसमें अनेक कानूनी बातों को विस्तार से बताया गया है। जैसे- विधि विषय का आधार क्या है। इसका अध्ययन इस
विषय की सैद्धांतिक प्रकृति को भी सम्मिलित करता है। उन्होंने बताया कि विषय का आधार, आधार का नियम, इसके सिद्धांतों का उद्देश्य, अध्ययन का दर्शन, तार्किकता की समझ, आधारभूत ज्ञान आदि भी विधिशास्त्र ही बताता है। उन्हांेने बताया कि अगर विद्यार्थी विधि क्षेत्र में प्रवेश करने से पहले इसकी मूल अवधारणा को जानता है तो वह निश्चित रूप से सफल होगा। प्रतीक चतुर्वेदी ने अपने व्याख्यान के बाद विद्यार्थियों द्वारा पूछे गये प्रश्नों के उत्तर भी दिये। इस अवसर पर मेवाड़ लाॅ इंस्टीट्यूट के महानिदेशक भारत भूषण ने प्रतीक चतुर्वेदी को शाॅल व स्मृति चिह्न देकर सम्मानित किया। अतिथि व्याख्यान में भारत भूषण के अतिरिक्त इंस्टीट्यूट के अपर महानिदेशक एके गौतम, उपनिदेशक जेएन जमवाल आदि भी मौजूद थे।

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