Friday 31 July 2015

वंशानुगत खेती को अपनाएँ

मेवाड़ की मासिक विचार संगोष्ठी में मुख्य वक्ता अभिषेक जोशी का दावा
पंजाब का पानी हुआ जहरीला, लोग हुए कैंसर का शिकार

विरोध नहीं संवाद से हल होगा मसला-अभिषेक जोशी

संवाद नहीं विरोध करो तेज- पदमश्री राम बहादुर राय

वंशानुगत खेती ही एकमात्र बचाव- डॉ. गदिया

मक्के की रोटी और सरसों का साग के लिए मशहूर पंजाब का पानी जहरीला हो गया है। वहां के लोग कैंसर के मरीज होने लगे हैं। आलम यह है कि पंजाब के लोग अपने मेहमानों को भी पीने का पानी देने से भय खाने लगे हैं। पानी जहरीला होने का कारण आनुवांशिक रूप से संशोधित फसलें उगाना है। ये फसलें बहुराष्ट्रीय कंपनियों के इशारों पर किसान अधिक मुनाफा कमाने के लिए उगाने में लगे हैं। फसलों में इस्तेमाल होने वाला कैमिकल जमीन के नीचे पानी में जाकर घुल चुका है और वह जहरीला हो गया है। यह जहर अब लोगों के खून में जा पहुंचा है। इसे रोकना होगा और सरकारों से विरोध नहीं सीधे संवाद करना होगा।
प्रख्यात रूरल इकोलॉजी पॉलिसी एनालिस्ट अभिषेक जोशी ने यह जानकारी वसुंधरा सेक्टर 4सी स्थित मेवाड़ ग्रुप ऑफ इंस्टीट्यूशंस के विवेकानंद सभागार में आयोजित विचार संगोष्ठी में बतौर मुख्य वक्ता लोगों को दी। वह जीएम क्रॉप्स ट्रोजन हॉर्सविषय पर अपने विचार व्यक्त कर रहे थे। उन्होंने बताया कि पंजाब में आनुवांशिक रूप से संशोधित सरसों की खेती की जा रही है। इसमें जहरीले कैमिकल का इस्तेमाल कर अधिक मुनाफा कमाने की होड़ लगी है। उन्होंने बताया कि पंजाब में कैंसर इस कदर फैल रहा है कि पंजाब से बीकानेर के मध्य चलने वाली एक ट्रेन का नाम ही कैंसर ट्रेन रख दिया गया है। इस ट्रेन में केवल कैंसर मरीज ही सफर करते हैं और इलाज कराने के लिए बीकानेर जाते हैं। श्री जोशी ने बताया कि हरित क्रांति के नाम पर सरकार लोगों को जहर खिला रही है। आलम यह है कि नई पीढ़ी भी इसके प्रभाव में विकलांग पैदा हो रही है। यह एक चिंता का विषय है। उन्होंने बताया कि पहले देश में सबसे पहले सोया व मूंगफली अनुवांशिक रूप से उगाने के प्रयोग हुए और अब सरसों में प्रयोग किये जा रहे हैं जोकि बहुत घातक हैं। इसके प्रति केन्द्र सरकार को बार-बार कई जैव प्रौयोगिक समितियां अपना विरोध दर्ज कर रही हैं। कह रही हैं कि जैविक खाद फसलों पर प्रयोग करना बंद किया जाए। अपनी वंशानुगत खेती को ही अधिक से अधिक प्राथमिकता दी जाए। इसके लिए सीधा उपाय है सरकार से सीधा संवाद। हमें विरोध का रास्ता बंद कर संवाद के मार्ग पर चलना होगा।
प्रख्यात पत्रकार राम बहादुर राय ने कहा कि संवाद से कुछ हल नहीं निकलेगा। हमें इसके लिए विरोध और तेज करना होगा। हरित क्रांति नुकसानदेह है और इसके लिए लोगों को जागरूक करने की आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि लोग जागरूक हों तो बीज कंपनियों को बेनकाब किया जा सकता है। मेवाड़ ग्रुप ऑफ इंस्टीट्यूशंस के चेयरमैन डॉ. अशोक कुमार गदिया ने कहा कि पहले बीज का बाजारीकरण हुआ, अब जीटी का बाजारीकरण करने की साजिश की जा रही है। किसान बुरी तरह से लुट रहा है। वह आजकल मृग मरीचिका में फंसा हुआ है। जिस 60 प्रतिशत खेती पर हम निर्भर हैं, उसके नफे-नुकसान का हमें कोई अनुमान नहीं है। जो हम रोज खा रहे हैं, उसके बारे में जानकारी नहीं रखते। धरती सोने की जगह विष उगल रही है। आज गाली या विरोध से कुछ नहीं होगा। हमें वंशानुगत खेती को सरुक्षित कर इस परम्परा को आगे बढ़ाना होगा। जो जीवन मूल्य बुजुर्गों ने हमें विरासत में दिये हैं, उन्हें हर हाल में बचाना होगा। शिक्षक इन जीवन मूल्यों को बचाने में अहम भूमिका निभा सकते हैं।

विचार संगोष्ठी में मेवाड़ की निदेशक डॉ. अलका अग्रवाल समेत तमाम शिक्षण व गैर शिक्षण स्टाफ मौजूद था। संगोष्ठी का सफल संचालन प्रोफेसर आईएम पांडेय ने किया। इससे पूर्व अभिषेक जोशी को मेवाड़ की ओर से डॉ. गदिया ने शॉल व स्मृति चिह्न देकर सम्मानित किया।

1 comment:

  1. Very nice knowledge sir. Everyone should read this article. We should consider on this matter very seriously and have to find the appropriate solutions.

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