रंगारंग कार्यक्रमों से विद्यार्थियों ने सबका मन मोहा
वसुंधरा स्थित मेवाड़ ग्रुप ऑफ इंस्टीट्यूशंस के मेवाड़ ऑडिटोरियम में पहली बार रानी लक्ष्मी बाई, इंदिरा गांधी व गुरुनानक देव जयंती एकसाथ मनाई गईं। इस अवसर पर विद्यार्थियों ने दोनों वीरांगनाओं व गुरुनानक देव पर आधारित रंगारंग व भक्तिमय कार्यक्रम प्रस्तुत कर सबका मन मोह लिया। इंस्टीट्यूशंस के चेयरमैन डॉ. अशोक कुमार गदिया ने अपने सम्बोधन में कहा कि आज देश पर सबसे बड़ा आतंकी खतरा मंडरा रहा है। हमारी सरहदें आतंकी संकट की चपेट में हैं। करोड़ों-अरबों रुपया बहाकर भी हम आज सुरक्षित नहीं हैं। हमें आज जागरूक होना होगा। रानी लक्ष्मी बाई व इंदिरा गांधी जैसा देश के लिए बलिदान देने का जज्बा मन में पैदा करना होगा। डॉ. गदिया ने कहा कि महिलाएं रानी लक्ष्मी बाई व इंदिरा गांधी के बलिदान से सबक लें। वे मानसिक रूप के अलावा शारीरिक रूप से सबल बनें। शिक्षक छात्राओं में शिक्षा व ज्ञान के अलावा उनमें हिम्मत व साहस का संचार भी करें। उन्होंने कहा कि संसार में दो ही महापुरुष ऐसे हुए, जिन्होंने कुरआन व हिन्दू धर्म के अच्छे तत्वों को लेकर सामान्य जीवन पद्धति का निर्माण किया। मगर धर्म के ठेकेदारों ने इस पद्धति को कायम नहीं होने दिया। अगर यह जीवन पद्धति कायम हो जाती तो हिन्दू-मुस्लिम एक होते। उन्होंने अपने अध्यक्षीय भाषण में कहा कि गुरु नानकदेव का जन्म ऐसे समय में हुआ, जब विदेशी आक्रांताओं का भारत में राज था। धर्म के ठेकेदारों का बोलबाला था और जाति अपने मूलमंत्र से दूर हो रही थी। ऐसे में गुरुनानक देव ने प्रकाश के रूप में प्रकट होकर जगत में व्याप्त अंधियारा दूर करने का काम किया। गुरु नानक ऐसे पहले संत थे जिन्होंने जनता के बीच रहकर जनता की भाषा में अपनी बात कही। एक नई दिशा दी और ज्ञान दिया। उन्होंने कहा कि आज भी गुरुनानक देव के उपदेश प्रासंगिक हैं। वे महज संत ही नहीं विश्व गुरु हैं। उन्होंने समाज के हर तबके को मानवता के साथ जोड़ने का अटूट कार्य किया। उन्होंने गुरुनानक देव के जीवन के अनेक प्रसंग सुनाकर उनके मानवता के प्रति समर्पणभाव की अत्यंत सराहना की।
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