- ‘मां, शिक्षक और गुरु ही कर सकते हैं बच्चे का व्यक्तित्व विकास’
- ‘कटुता को त्यागो, प्रेमभाव अपनाओ’
- सांस्कृतिक कार्यक्रमों से विद्यार्थियों ने सबका मन मोहा
मां, शिक्षक और गुरु ही एक बच्चे के व्यक्तित्व का विकास कर सकते हैं और छत्रपति शिवाजी महाराज इसका एक उदाहरण हैं। शिवाजी जैसा निर्भीक योद्धा, कुशल प्रशासक, साम्प्रदायिक सौहार्द्र का प्रणेता आज तक कोई नहीं हुआ। उनके आदर्शों पर चलकर नौजवान देश व समाज के प्रति अपना जीवन सार्थक रूप से समर्पित कर सकते हैं।

समारोह में विद्यार्थियों ने देशभक्ति गीत, शिवाजी पर सम्भाषण, समूह गान, एकल गान आदि प्रस्तुत कर सभी का मन जीत लिया। भाग लेने वाले विद्यार्थी थे- वंदना श्रीवास्तव, श्वेता गुप्ता, सैफुल्ला रईशी, प्रियंका, बोंगकोंग, फरीना, रश्मि टंडन, अम्बरीन आदि। बीएड के विद्यार्थियों द्वारा शिवाजी के जीवन चरित्र पर दर्शायी गई लघु नाटिका ने सभी का मन मोह लिया। इस मौके पर मेवाड़ लॉ इंस्टीट्यूट के महानिदेशक भारत भूषण समेत तमाम शिक्षण स्टाफ व विद्यार्थी मौजूद थे। कार्यक्रम का सफल संचालन बीएड की छात्राओं श्रुति कत्याल व चंद्रा ने किया।
No comments:
Post a Comment
Note: only a member of this blog may post a comment.